जयपुर: गौतम बुद्ध ने चार सूत्र दिए उन्हें ‘चार आर्य सत्य’ के नाम से जाना जाता है। पहला दु:ख है। दूसरा दु:ख का कारण, तीसरा दु:ख का निदान और चौथा वह मार्ग है, जिससे दु:ख का निदान होता है। गौतम बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग वह मध्यम मार्ग है जो दु:ख के निदान का पथ प्रशस्त करता है।
उनका यह अष्टांगिक मार्ग ज्ञान, संकल्प, वचन, कर्म, आजीव, व्यायाम, स्मृति और समाधि के संदर्भ में सम्यकता से साक्षात्कार कराता है। इसी मध्यम मार्ग के द्वारा बुद्ध ने जीवन के दु:खों के कारणों और परिणामों के रहस्य का उद्घाटन किया।
गौतम बुद्ध ने कहा है कि जो मनुष्य दु:ख से पीडि़त है, उनके बहुत से हिस्से में ऐसे दु:ख हैं, जिन्हें मनुष्य ने अपने अज्ञान या मिथ्यादृष्टि से पैदा किया है। उन दु:खों का निराकरण सम्यक ज्ञान द्वारा ही किया जा सकता है, किसी के आशीर्वाद से नहीं। सत्य या यथार्थ का ज्ञान ही सम्यक ज्ञान है।
अत: दु:ख से मुक्ति के लिए सत्य की खोज परम आवश्यक है। उन्होंने अपने पूर्ववर्तियों या परंपरा द्वारा बताए सत्य को नकार दिया और अपने लिए नए सिरे से सत्य की खोज की। बुद्ध ने पहली बार धर्म को तार्किक कसौटी पर जाने की कोशिश की और परंपरा से चली आ रही चीजों को चुनौती दी।
Bureau Report
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