नई दिल्ली : केंद्र की सरकार द्वारा आयुर्वेदिक उत्पादों पर अधिक जीएसटी लगाए जाने से बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद ने अपनी नाराजगी जताई है। पतंजलि आयुर्वेद ने सरकार के इस फैसले के बाद पूछा है कि बेहतर स्वास्थ्य अधिकार के बिना सरकार देश में अच्छे दिन कैसे ला पाएगी।
आयुर्वेदिक उद्योग संगठन की संस्था एसोसिएशन ऑफ मैन्यूफैक्चर्स ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन्स (एएमएएम) ने कहा है कि जहां एक तरफ सरकार दुनियाभर में आयुर्वेद को तेजी से बढ़ावा दे रही है। तो वहीं जीएसटी के तहत अधिक कर लगाए जाने से प्राकृतिक दवाएं न केवल महंगी होंगी, बल्कि यह आम आदमी के पहुंच से भी बाहर हो जाएगी। साथ ही एएमएएम ने बताया कि समान्य श्रेणी की आयुर्वेदिक दवाइयों के साथ जीएमटी लागू नहीं होना चाहिए।
एसोसिएशन ऑफ मैन्यूफैक्चर्स ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन्स ने कहा कि प्रस्तावित 12 फीसदी वस्तु एवं सेवा कर को आयुर्वेदिक या जेनेरिक दवाएं पर शून्य रखना चाहिए। साथ ही पेटेंट उत्पादों पर 5 पीसदी जीएसटी लागू करना चाहिए। आपको बता दें कि फिलहाल आयुर्वेदिक दवाओं और उससे जुड़े अन्य उत्पादों पर 7 फीसदी जीएसटी चुकाना पड़ता है। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद इन उत्पादों पर 12 फीसदी कर देना पड़ेगा। जो कि निराशजनक है।
इस मामले पर पतंजलि योगपीठ के प्रवक्ता एस के तिजारावाला ने कहा कि आयुर्वेदिक दवाओं पर अधिक वस्तु और सेवा कर लगाए जाने से वह हैरान है। साथ ही उन्हें इस फैसले से निराशा है। क्योंकि आयुर्वेद लोगों को सस्ती दर पर इलाज की सेवा प्रदान करता है। ऐसे में उच्च जीएसटी लागू होने से समस्या आएगी।
ध्यान हो कि बाबा रामदेव की पंतजलि देशभर में अपनी उत्पाद घर-घर तक पहुंचा रही है। जहां आटा से लेकर डिटर्जेंट पाउडर जैसे प्रॉडक्ट्स बनाने तक कंपनी देश में मशहूर हो चुकी है।
Bureau Report
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