सीकर: हाथ पकड़कर पिता ने चलना सिखाया, दूध पिलाकर जिस मां ने अपने पुत्र को बड़ा कर देश सेवा में भेजा। शहीद होने के बाद सरकार उसी लाडले के माता-पिता को नाम मात्र की सहायता देकर उनके दूध के कर्ज की कीमत को चुकता कर रही है। प्रतिदिन के 50 रुपए की आर्थिक सहायता देकर सरकार भले ही देश भक्ति का दम भर रही है। लेकिन, हकीकत यह हैं कि इन शहीदों के माता-पिता एेसे हैं, जिनका काम इस नाम मात्र की राशि से नहीं चल रहा है। करगिल युद्ध से पहले के शहीदों के लिए सरकार ने एक योजना लागू की थी। जिसमें शहीद के विवाहित होने पर उसकी वीरांगना पत्नी को वे सभी सुविधाएं जारी की गई, जो नियमों के तहत उन्हें लागू है। लेकिन, शहीद के माता-पिता के भरण पोषण के लिए उनके जिंदा रहने तक केवल डेढ़ लाख रुपए का एक मुश्त फंड जारी किया गया। उस फंड को इन दोनों के नाम जमा कर एमआईएस के जरिए प्रतिमाह इन्हें इसका ब्याज दिया जाने लगा। जो कि, करीब 1500 रुपए बनता है और इसमें प्रदेश के करीब एक हजार शहीदों के माता-पिता शामिल हैं। जबकि ये सहायता राशि तो किसी नरेगा श्रमिक को मिलने वाली राशि से भी कम है। एेसे में इन शहीदों के माता-पिता की पीड़ा है कि बेटे के गुजर जाने के बाद सरकार उनकी अनदेखी कर रही है।
जिले के 63 परिवार शामिल: प्रदेश के एक हजार सहित सीकर जिले में एेसे 63 शहीद परिवार हैं, जिनके माता-पिता को आर्थिक सहायता के तौर पर महीने के करीब 1500 रुपए सरकार दे रही हैं। इनमें कई शहीद परिवार एेसे भी हैं। जिनकी वीरांगनाएं सास-ससुर से अलग रह रही हैं। एेसे में इन शहीद की माता-पिताओं को जीवन यापन करने के लिए समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
बुढ़ापे में इतने से कैसे हो गुजारा: सिहोट छोटी के शहीद गणपत सिंह 1999 में शहीद हो गए थे। वीरांगना पत्नी को सरकार ने सभी सुविधाएं मुहैया करवाई और पेंशन के रुपए मिल रहे हैं। लेकिन, शहीद की माता देऊ देवी व पिता रतनलाल को फंड ब्याज के 1500 रुपए ही हासिल हो रहे हैं। दोनों की उम्र 70 साल से अधिक है।
मां को हर महीने सिर्फ 1500 की मदद: बागरियाबास के शहीद सुल्तान सिंह 2008 में कूपवाड़ा में शहीद हो गए थे। बदले में इनकी वीरांगना पत्नी को शहीद पेंशन के तौर पर करीब 32 हजार रुपए मिल रहे हैं। इसके अलावा अन्य सरकारी सुविधाएं भी शामिल हैं। लेकिन, शहीद की मां जड़ाव देवी को गुजर-बसर के लिए अभी भी केवल 1500 रुपए ही महीने के दिए जा रहे हैं। जबकि शहीद के पिता की भी मौत हो चुकी है।
राशि में हो बढ़ोतरी: सैनिक कल्याण विभाग के कल्याण संघठक साबूलाल चौधरी के अनुसार शहीद के माता-पिता की सहायता राशि में भी बढ़ोतरी की जानी चाहिए। शहीद होने के बाद वीरांगना को सरकार की ओर से 20 लाख रुपए दिए जा रहे हैं। या इनके बदले वीरांगना चाहे तो हाउसिंग बोर्ड में मकान या 60 बीघा जमीन भी ले सकती है। इसके अलावा शहीद की पेंशन सहित बाकी सुविधाएं वीरांगना को लागू हैं।
भेजा था सात फीट लंबा मांग पत्र: शहीद परिवारों से जुडे़ राजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि शहीद होने के बाद माता-पिता को मिलने वाली सहायता राशि को बढ़ाकर 15000 रुपए करने की मांग को उठाया गया था। दूध का सही कर्ज चुकाने के लिए सात फीट लंबा मांग पत्र भी प्रधानमंत्री और प्रदेश की मुख्यमंत्री को भिजवाया गया था। लेकिन, बावजूद इसके सरकारी अनदेखी बुजुर्गों पर भारी पड़ रही है।
Bureau Report
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