नईदिल्ली: विजय माल्या जैसे आर्थिक अपराधियों को कानून के शिकंजे में कसने के लिए केंद्र सरकार ने फरार आर्थिक अपराधियों की संपत्तियां जब्त करने के लिए कड़ा कानून बनाने का मसौदा (ड्राफ्ट) जारी किया है। ‘फरार आर्थिक अपराधी विधेयक 2017’ के मसौदे में प्रावधान है कि जो आर्थिक अपराधी भारतीय कानून से बचे रहते हैं, वे इस प्रक्रिया से न बच पाएं।
संसद से पारित हो जाने के बाद यह विधेयक आर्थिक अपराधों से जुड़े अन्य कानूनों की जगह ले लेगा। इसमें 100 करोड़ रुपए से ज्यादा के मामले आएंगे। इस मसौदे में धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत विशेष न्यायालय बनाने का प्रावधान है, जिससे किसी व्यक्ति को फरार आर्थिक अपराधी घोषित किया जा सके। इस कानून के माध्यम से सरकार चाहती है कि अब देश में दूसरा माल्या नहीं हो पाएगा, क्योंकि कानून सख्त होगा।
जब्त होगी संपत्ति
घोषित किए जा चुके फरार आर्थिक अपराधियों के परिणाम तय किए जाएंगे। इसमें दोषी की अपराध के दौरान बनाई गई किसी भी संपत्ति और भारत में संपत्ति को जब्त करना व दूसरे कोर्टोंं के मुताबिक व्यक्ति या कंपनी के प्रमुख प्रबंधकीय व्यक्तियों के किसी सिविल दावे की अनुमति न देना शामिल है।
कार्ति ने टीचर को डायरेक्टर बना छिपाई पहचान
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम और कथित कागजी कंपनियों की जांच में ईडी को मिले दस्तावेज में कई खुलासे हुए हैं।कार्ति के नजदीकी एस भास्कर रमन की पतनी को ऑन रिकॉर्ड एडवांटेज स्ट्रैटिजिक कंसलटिंग प्राइवेट लिमिटेड (एएससीपीएल) का प्रमोटर और डायरेक्टर बनाया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि उन लोगों की पहचान उजागर न हो जो इस कंपनी को ऑपरेट कर रहे हों। कार्ति चिदंबरम एएससीपीएल के प्रमुख और असल लाभार्थी थे।
यह प्रावधान
फरार अपराधी की संपत्ति जब्त की जा सकेगी सिर्फ वे दायरे में आएंगे, जिनमें राशि 100 करोड़ से ज्यादा हो विशेष कोर्ट का प्रावधान, जो व्यक्ति को फरार अपराधी घोषित करेगा
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