अयोध्या: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ‘रामलला’ के दर्शन के लिए अयोध्या पहुंचे। मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार अयोध्या पहुंचे योगी आदित्यनाथ ने हनुमानगढी में हनुमान जी के दर्शन किये। वे श्रीरामजन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपालदास के जन्मोत्सव में भी शामिल होगें।
योगी राज्य सरकार के हेलीकाप्टर से करीब सवा नौ बजे फैजाबाद की हवाई पट्टी पर पहुंचे। हवाई पट्टी पर उनका स्वागत स्थानीय सांसद लल्लू सिंह, विधायक रामचन्द्र यादव, रामजन्मभूमि विवाद के पक्षकार धर्मदास समेत कई भाजपा नेताओं ने स्वागत किया। दोपहर बाद वह फैजाबाद मंडल की विकास योजनाओं और कानून व्यवस्था की समीक्षा करेंगे।
ये हैं सियासी मायने
सूबे में जबसे योगी की सरकार बनी है, अयोध्या पहुंचने वाले हिंदूवादी और भाजपा नेताओं का अयोध्या पहुंचने का सिलसिला जारी है। बीते दिनों अयोध्या में कारसेवकपुरम में भाजपा की बैठक भी हुई थी, जिसके अंतिम दिन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी अपने लाव-लश्कर के साथ शामिल हुए थे। मौर्य ने रामलला के दर्शन भी किए थे और अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रामलला के दर्शन को पहुंचे हैं।
योगी का अयोध्या दौरा सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कानून-व्यवस्था की समीक्षा और महंत का जन्मोत्सव तो सिर्फ बहाना है, यात्रा के कई राजनीतिक निहितार्थ हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ का अयोध्या जाने का मकसद बिलकुल साफ है। बीजेपी कहे या न कहे, लेकिन वो जानती है कि राम मंदिर का मुद्दा लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए एक बार फिर संजीवनी साबित हो सकता है।
वरिष्ठ पत्रकार हीरेश पांडेय का कहते हैं कि अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। मामला सुर्खियों में है। विहिप सहित कई हिंदू संगठन भव्य राम मंदिर निर्माण की बात कह रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले तक भाजपा की कोशिश इस मुद्दे को गरमाए रहने की होगी, ताकि मंदिर के नाम पर लोकसभा चुनाव में हिंदुत्व के आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण करण हो सके।
अयोध्या के कायाकल्प में जुटी केंद्र सरकार
प्रदेश में कमल खिलते ही केंद्र सरकार भी रामनगरी पर विशेष फोकस किए है। केंद्र की मोदी सरकार अयोध्या का कायाकल्प करने के लिए कई योजनाएं बना रही है। इनमें अयोध्या को उन टॉप टेन शहरों में शामिल करना भी शामिल है, जहां पर्यटकों के लिए फाइव स्टार होटल सहित तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके अलावा केंद्र सरकार की मदद से यहां रामायण सर्किट और रामायण म्युजियम बन रहा है।
दौरा इसलिए भी खास
भाजपा का कोई मुख्यमंत्री 15 साल बाद अयोध्या में होगा। अयोध्या से भाजपा को हमेशा ही ताकत मिली है। इसलिए योगी के यहां से आने के खास मकसद भी तलाशे जा रहे हैं। मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए योगी आदित्यनाथ को छह माह में विधानसभा या विधानपरिषद का सदस्य बनना जरूरी है। अभी वह सांसद हैं। सियासी गलियारों में अटकलें तेज हैं कि योगी आदित्यनाथ अयोध्या से ही उपचुनाव भी लड़ सकते हैं, ताकि वह धार्मिक नगरी से 2019 के एजेंडे को धार भी दे सकें।
ऐसा करने वाले दूसरे मुख्यमंत्री
अयोध्या दौरे के साथ ही योगी आदित्यनाथ ऐसे दूसरे मुख्यमंत्री हो गए हैं, जो 1992 में हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद रामलला के दर्शन को पहुंचे हैं। इनसे पहले वर्ष 2002 में राजनाथ सिंह ने अयोध्या दौरे में रामलला के दर्शन किए थे। राजनाथ के बाद से 15 सालों में किसी भी मुख्यमंत्री ने इस विवादित ढांचे का दौरा नहीं किया है।
Bureau Report
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