नईदिल्ली: न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप में भारत अपनी सदस्यता पक्का करने को लेकर इस बार रुस को दो टूक जवाब दिया है। भारत ने अपने लंबे अरसे के मित्र राष्ट्र रुस को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर उसे एनएसजी में पूर्ण रुस से सदस्यता नहीं मिलती है तो वह अपने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों में विदेशी साझेदारों को सहयोग देना बंद कर देगा।
भारत ने साफ तौर पर चेतावनी देते हुए कहा है कि एनएसजी में सदस्यता नहीं मिली तो वह रुस के सहयोग से साथ तैयार होने वाली कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना की 5वीं और 6वीं रिऐक्टर यूनिट्स विकसीत करने को लेकर हुए समझौते को लटका भी सकता है।
वहीं भारत ने ऐसे समय पर अपना कड़ा रुख अपनाया है। जब भारत को लग रहा है कि रुस चीन के साथ अपनी बढ़ती साठगांठ के कारण भारत को एनएसजी सदस्यता दिलवाने में अपनी पूरी ताकत और प्रतिबद्धताओं का इस्तेमाल नहीं कर रहा है।
ध्यान हो कि भारत को न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप में दाखिल होने को लेकर चीन लगातार अपना विरोध जताता रहा है। साथ ही वह भारत के खिलाफ दूसरे देशों को भी खड़ा करता रहा है। ऐसे भारत को अपने पुराने मित्र रुस का काफी उम्मदे हैं कि रुस चीन पर दबाव बनाकर भारत को एनएसजी दाखिला का रास्ता खोल देगा।
उधर रुस रुस को भी लग रहा है कि भारत एनएसजी में अपनी जगह बनाने के लिए शायद कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना को अटका रहा है। गैरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी जून में रुस का दौरा करने वाले हैं। और इस मुलाकात के दौरान भारत रुस के सामने यह मसला जरुर उठाएगा। वहीं अब भारत के बयान के बाद कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना को लेकर रुस की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है।
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