अजमेर: मालगाडि़यों के लिए अलग से बिछाई जाने वाली रेलवे लाइन की जद में आने वाले सैकड़ों परिवारों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर मकानों का मुआवजा बाजार दर से तय करने अथवा इच्छा मृत्यु की स्वीकृति देने की मांग की है। प्रभावित परिवारों ने लिखा है कि पिछले नौ वर्ष से लगातार अपना आशियाना ढहने की मानसिक यंत्रणा भुगत रहे परिवारो के सामने अब इच्छा मृत्यु का ही विकल्प बचा है।
प्रभावित परिवारों की घर बचाओ संघर्ष समिति के सचिव शक्तिसिंह चौहान ने बताया कि दिल्ली से मुम्बई के बीच डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) अजमेर के शहरी क्षेत्र से होकर निकलना है। मदार से दौराई के बीच लगभग 300 परिवारों के मकान और भूखंड इसकी जद में आ रहे हैं।
डीएफसी कॉर्पोरेशन और जिला प्रशासन ने रेलवे मंत्रालय और केन्द्र सरकार को गलत तथ्य पेश कर शहरी क्षेत्र को राजस्व ग्राम बताकर कौडि़यों के हिसाब से मुआवजा तय किया है।
बने हुए हैं आलीशान मकान
चौहान ने बताया कि हकीकत तो यह है कि आदर्श नगर, धोलाभाटा, सुभाषनगर व विराट नगर सहित थोक मालियान के तहत आने वाले शहरी क्षेत्रों में आलीशान मकान बने हुए हैं। मकान निर्माण के लिए लोगों ने अपने जीवन भर की पूंजी खर्च कर दी है लेकिन अब डीएफसीसी ग्रामीण क्षेत्र की डीएलसीसी दर पर मकानों का अधिग्रहण कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई मकान तो एेसे हैं जिनका डीएफसीसी प्रशासन महज आधे क्षेत्र का अधिग्रहण कर उसी हिसाब से मुआवजा राशि तय कर रही है जबकि शेष आधे क्षेत्र का कोई उपयोग भी नहीं रह जाएगा।
नौकरी अथवा मुआवजा
प्रभावित परिवारों ने बताया कि रेलवे परियोजना के लिए जमीन अवाप्त करने पर प्रभावित परिवार को रेलवे मंत्रालय की ओर से नौकरी देने की घोषणा की गई थी। लिहाजा डीएफसीसी की जद में आने वाले प्रभावित परिवार के एक सदस्य को रेलवे में नौकरी अथवा मुआवजे के रूप में 50 लाख रुपए अतिरिक्त दिए जाएं। समिति ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि मानसिक यंत्रणा से मुक्ति दिलाने के लिए उनके मकानों और भूखंड का मुआवजा बाजार दर से तय किया जाए या फिर इच्छा मृत्यु की स्वीकृति दी जाए।
Bureau Report
Leave a Reply