अजमेर: कहते हैं रमजान के पवित्र महीने में रोजेदार के साथ बैठकर रोजा इफ्तारी करना या इफ्तारी करवाने वालों को भी उतना ही सवाब मिलता है जितना रोजेदारों को नसीब होता है। धार्मिक नगरी अजमेर में एेसा सवाब हासिल करने वालों की कतई कमी नहीं है। ख्वाजा साहब की दरगाह में कई हिन्दू न केवल रोजेदारों की सेवा में जुटे हैं बल्कि कुछ तो एेसे भी हैं जो खुद रोजा रखते हैं।
दरगाह में शाम को रोजा इफ्तारी के दौरान हिन्दू परिवारों के लोग सेब, केला, अंगूर, नमकीन, शरबत आदि सामग्री लेकर पहुंच रहे हैं। गुजरात से आए विनोद पटेल बताते हैं कि वे रमजान के महीने में दो दिन (यौमे अली और शबेकद्र पर) रोजा रखते हैं। एेसा करते हुए उन्हें कई साल हो गए। अजमेर के देहली गेट निवासी मनीष रोजाना इफ्तारी का सामान दरगाह भिजवाते हैं।
एेसे ही कई परिवार हैं जो खुद इफ्तारी का सामान लेकर दरगाह जाते हैं और रोजा इफ्तार में शामिल होते हैं। अजमेर में कई हिन्दू रोजा इफ्तारी की दावत भी रखते हैं। कार्यक्रम में साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिलती है।
अंजुमन सदस्य सैयद मुनव्वर चिश्ती ने बताया कि गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों से कुछ हिन्दू परिवार के रमजान के महीने में विशेषकर यहां आते हैं। उनमें से कई इफ्तारी की सामग्री उपलब्ध कराते हैं तो कुछ परिवार रोजा भी रखते हैं।
Bureau Report
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