नईदिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’मन की बात अब आप क्षेत्रीय भाषाओं और स्थानीय बोलियों में भी सुन पाएंगे। ‘मन की बात’ कार्यक्रम को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए यह कदम उठाया गया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इसकी पहल की है।
केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने दिसंबर 2016 में स्टेट इन्फॉर्मेशन मिनिस्टर्स के साथ कॉन्फ्रेंस में यह फैसला लिया था कि सरकार के महत्वपूर्ण कदम और पीएम के ‘मन की बात’ को ज्यादा से ज्यादा जनता तक पहुंचाया जाना चाहिए।
मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि फैसला उस समय लिया गया, जब इस बात की जरूरत महसूस की गई कि यदि ‘मन की बात’ क्षेत्रीय भाषाओं और स्थानीय बोलियों में भी हो तो ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसकी पहुंच बढ़ सकती है।
उसके बाद इसे अनुवाद कराने का फैसला लिया गया। उन्होंने बताया कि देश में ऐसे लोगों की भी बड़ी संख्या है जो हिंदी और अंग्रेजी नहीं समझते हैं। झारखंड, हरियाणा और छत्तीसगढ़ से क्षेत्रीय भाषाओं में ‘मन की बात’ की शुरुआत की जाएगी। वहीं अन्य राज्य बाद में इसी प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ेंगे। हालांकि ‘मन की बात’ के पुराने संस्करण क्षेत्रीय भाषाओं में नहीं मिलेंगे।
मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकारों को पीएम के ‘मन की बात’ मॉडल के आधार पर खुद का राज्य प्रसारण शुरू करने की सलाह दी है। सूत्रों का कहना है कि जैसे पीएम मोदी ‘मन की बात’ में केंद्र सरकार के कार्यक्रम और उपलब्धियों के बारे में बताते हैं, ठीक वैसे ही सभी राज्यों के सीएम ‘सीएम की बात’ कार्यक्रम शुरू कर राज्य की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचा सकते हैं।
Bureau Report
Leave a Reply