सीकर: भाजपा नेता की हत्या के षड़यंत्र के मामले में अपर सेशन न्यायाधीश क्रम-दो नीरज कुमार भारद्वाज ने चार आरोपितों को तीन-तीन वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने इस मामले में कुख्यात अपराधी आनंदपाल सिंह व सुभाष खीचड़ के विरुद्ध अनुसंधान लंबित रखा है। पुलिस ने इस मामले में आरोपितों को बीकानेर जेल में गोली के शिकार हुए बलबीर बानूड़ा के फार्म हाउस से वर्ष 2015 में 13 मार्च को गिरफ्तार किया था। आरोपित गोठड़ा तगेलान निवासी मनोज कुमार बुरडक, झुंझुनूं जिले के खेतड़ी क्षेत्र के बसई गांव निवासी लवली चौधरी उर्फ छोटू, मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के गुरजा नोरावली हाल जयपुर निवासी गोलू ङ्क्षसह जादोन और पवन सिंह जादोन है।
दबिश देकर किया था गिरफ्तार
गैंगवार की रंजिश के चलते बलबीर बानूड़ा की हत्या के बाद आनंदपाल और इसके विरोधी राजू ठेहट के गिरोह के बीच दुश्मनी बढ़ गई। दांतारामगढ़ थानाधिकारी को सूचना मिली की इस दुश्मनी के चलते बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए बलबीर बानूड़ा के जीजा गुलाब के गोठड़ा तगेलान स्थित घर और बानूड़ा स्थित फार्म हाउस पर अपराधी डेरा डाले हुए हैं। एेसे में तत्कालीन एएसपी प्रकाश शर्मा के नेतृत्व में करीब आठ थानाधिकारियों, आरएसी व कोबरा टीम ने छापामार कार्रवाई की। गोठड़ा तगेलान में पुलिस को कोई नहीं मिला। बाद में बानूड़ा स्थित बलबीर बानूड़ा के फार्म हाउस पर पुलिस ने भारी लवाजमे के साथ घेर कर तलाशी ली तो वहां पर पुलिस को आधा दर्जन युवक मिले। पुलिस को इनके पास रिवाल्वर, देशी कट्टे, भारी मात्रा में कारतूस व आग्नेयाश्त्रों को ठीक करने के औजार मिले। पुलिस ने इनमें से आरोपित गोठड़ा तगेलान निवासी मनोज कुमार बुरडक, झुंझुनूं जिले के खेतड़ी क्षेत्र के बसई गांव निवासी लवली चौधरी उर्फ छोटू, मध्यप्रदेश के मरैना जिले के गुरजा नोरावली हाल जयपुर निवासी गोलू ङ्क्षसह जादोन और पवन सिंह जादोन को गिरफ्तार कर लिया। शेष दो आरोपितों को नाबालिग होने के कारण उन्हें निरूद्ध कर किशोर न्याय बोर्ड में रिपोर्ट प्रेषित की गई।
पुलिस की पूछताछ में खुला हत्या का षड़यंत्र
आरोपितों ने पुलिस की पूछताछ में स्वीकार किया कि वे भाजपा नेता हरिराम रणवां और विरोधी गैंग के सदस्य ओमप्रकाश ठेहट की हत्या की षड़यंत्र रच रहे थे। इसके लिए रेकी और वारदात को अंजाम देने के लिए हथियार एकत्र करने की बात भी सामने आई। न्यायाधीश ने इस मामले में धारा 302 सपठित 115, 149 और 120 के अपराध से आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया, लेकिन चारों आरोपितों को आयुध अधिनियम के तहत तीन-तीन वर्ष के कठोर कारावास और दस-दस हजार रुपए के जुर्माना की सजा सुनाई है। मामले में राज्य सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक भगवंत सिंह ने पैरवी की।
Bureau Report
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