नईदिल्ली: बिहार में आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस के महागठबंधन में दरार के बीच सीएम नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा देने के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘मैंने गठबंधन धर्म का पालन किया, लेकिन इस माहौल में काम करना संभव नहीं था. मैंने अपनी ओर से सर्वोत्तम प्रयास किया.’
बिहार महागठबंधन के टूटने की कगार तक पहुंचने के लिए संभवत: ये कारण ज़िम्मेदार रहे हैं–
1- लालू के परिजनों के खिलाफ सीबीआई के छापों के कारण जेडीयू और आरजेडी के बीच के संबंधों में खटास आती जा रही थी. सीबीआई ने 7 जुलाई को पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं उनके बेटे तेजस्वी यादव सहित उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार का एक मामला दर्ज करने के बाद 12 स्थानों पर छापेमारी की.
2- होटल के बदले भूखंड मामले में लालू के पुत्र तेजस्वी यादव को आरोपी बनाए जाने के बाद उनके इस्तीफे की मांग मुखरता से जेडीयू की ओर से उठाई जा रही थी. इससे पहले लालू के दूसरे पुत्र और राज्य सरकार में मंत्री तेजप्रताप यादव और लालू के अन्य परिजनों के खिलाफ भी सीबीआई और ईडी ने कार्रवाई की थी.
3- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर शेल (फर्जी) कंपनी के जरिए कथित तौर पर ‘बेनामी संपत्ति’ अर्जित करने के बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी के आरोपों का इस गठबंधन को तोड़ने में अहम भूमिका रही.
4-बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने लालू प्रसाद यादव की बेटी और राज्यसभा सदस्य मीसा भारती पर देश की राजधानी दिल्ली में करोड़ों रुपये कीमत की ज़मीन को कौड़ियों के भाव खरीदने का आरोप लगाया था. सुशील कुमार मोदी का दावा था मीसा भारती ने अपने पति के साथ मिलकर शेल कंपनियों के ज़रिये यह ज़मीन खरीदी थी.
5- सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मीसा भारती ने अपने पास मौजूद काले धन को अपनी कंपनियों मिशैल पैकर्स एंड प्रिंटर्स प्राइवेट लिमिटेड के शेयरों की संदिग्ध खरीद-फरोख्त के ज़रिये सफेद बनाया. यह कंपनी वर्ष 2002 में एक लाख रुपये के निवेश से शुरू की गई थी. सुशील कुमार मोदी ने मीसा की आय के स्रोत को चुनौती देते हुए यह सवाल भी किया था कि मीसा भारती ने चुनाव आयोग को दिए अपने एफिडेविट में उसका ज़िक्र क्यों नहीं किया था.
6- डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ अवैध संपत्ति के मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद नीतीश कुमार उनसे इस्तीफे की मांग पर अड़े रहे, उन्होंने इस मुद्दे पर सीधे तो कुछ नहीं किया लेकिन अपने इरादे खुलकर जाहिर कर दिए थे, नीतीश की इस मांग पर लालू ने झुकने से साफ इंकार कर दिया था.
7-इस पूरे झगड़े के बीच मुख्य बात ये है कि लालू और नीतीश दोनों ने ही लंबे समय से एक दूसरे से बात नहीं की है, हालांकि मीडिया में शुरूआत में ये खबर आई थी कि झगड़ा निपटाने के लिए दोनों के बीच बातचीत हुई है लेकिन बाद में लालू और नीतीश दोनों ने इससे साफ इंकार कर दिया.
8- पटना में एक कार्यक्रम के दौरान हुए घटनाक्रम ने भी महागठबंधन में दरार बढ़ने के साफ संकेत दिए. इस कार्यक्रम में जिस तरह उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अनुपस्थित रहकर अपनी नाराजगी का इजहार किया वो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अखर गया. उन्होंने भी मंच पर रखी तेजस्वी के नाम की नेमप्लेट और कुर्सी को तुरंत हटवाकर अपने इरादे जाहिर कर दिए. इसी कार्यक्रम के बाद नीतीश ने रविवार को जदयू विधायकों की बैठक बुला ली थी.
9- 12 साल से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि राज्य के साथ ही देशभर में सुशासन बाबू और भ्रष्टाचार पर कोई रियायत न बरतने वाले नेता की रही है. पिछली सरकारों में वह अपने कई मंत्रियों को सिर्फ आरोप लगने के बाद हटा चुके हैं. लेकिन लालू यादव के साथ गठबंधन की सरकार में आने के बाद नीतीश की इस छवि को धक्का पहुंचा है.
10- भ्रष्टाचार सहित कानून व्यवस्था से जुड़े कई मामलों में चुप्पी साधने के कारण उनकी आलोचना भी हुई. लेकिन अब एक बार फिर वह अपनी छवि दुरुस्त करने की कवायद में जुट गए हैं, क्योंकि वह जानते हैं कि बिहार की जनता सीएम के रूप में उनकी इसी छवि को पसंद करती है इसलिए वह इस बार किसी समझौते के मूड में नहीं हैं.
Bureau Report
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