कोटा: जय बम भोले के जयकारों के साथ हम जोश से आगे बढ़ रहे थे। तभी अचानक हमारे आसपास सेना के जवानों की संख्या दोगुनी हो गई। उनके वायरलैस सेटों पर अधिकारी निर्देश दे रहे थे और उसके बाद जवानों ने किसी भी हमले का जवाब देने के लिए पहले से अपनी-अपनी जगह पॉजिशन ले ली। आसमान में हैलीकॉप्टर मंडरा रहे थे तो नीचे सेना के ट्रक एक के बाद एक गुजर रहे थे। सैन्य गतिविधियों में तेजी देख हम भी सकते में आ गए।
एक होटल पर चाय पीने रुके तो टीवी पर खबर देखकर हमारे पैरों तले जमीन खिसक गई। अमरनाथ बाबा के दर्शनों को गए सात यात्रियों की आतंकी हमले में जान जा चुकी थी। उस जगह से हम करीब एक घंटे पहले ही निकले थे। यह कहना था आतंकी हमले के बाद पहलगाम में फंसे कोटा निवासी विनय अग्निहोत्री का। विनय ने राजस्थान पत्रिका को घटनाक्रम एवं माहौल के बारे में जानकारी दी। घाटी में इंटरनेट सेवा बंद होने की वजह से वे फोटो उपलब्ध नहीं करा सके।
होटल से बाहर निकलने की अनुमति नहीं
आतंकी हमला अनंतनाग जिले में खंदरबल में हुआ, जो अमरनाथ यात्रा में पहलगाम से करीब 30 किमी पहले है। विनय अपने पांच साथियों के साथ करीब एक घंटा पहले ही खंदरबल से गुजरे थे। हम वहां चाय पीने के लिए रुके तो सेना के जवान आए और हमें तुरंत आगे रवाना होने को कहा। सेना ने हमारे वाहन को वहां से आगे रवाना किया। उन्होंने अगले स्टे प्वाइंट से पहले कहीं भी नहीे रुकने की हिदायत दी। उनकी बात मानकर हम सीधे पहलगाम पहुंचे। यहां भी हमें होटल से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा। विनय ने बताया कि यहां आए हैं तो बाबा के दर्शन करके ही जाएंगे। मैं वर्ष 2000 में भी आया था, तब मेरे सामने आतंकी हमला हुआ था, जिसमें बीस लोगों की जान जा गई थी।
परिजनों की चिंता बढ़ी
कोटा से कई लोग अमरनाथ दर्शनों के लिए गए हैं। टीवी पर चल रही खबरों को देखने के बाद उनके रिश्तेदार सकते में आ गए। उन्होने फोन पर यात्रियों से जानकारी ली और उनकी कुशलता की बात सुनने के बाद जान में जान आई। विनय ने बताया कि आतंकी हमला होने के बाद डेढ़ घंटे के दौरान कोटा से परिजनों के करीब 125 से ज्यादा फोन आ चुके थे। विनय के साथ कोटा से कपिल गुप्ता, हीरालाल आर्य, शिवचरण मीणा, भीम सिंह एवं अनुराग पुरी भी यात्रा पर गए हैं।
Bureau Report
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