भिलार्इ: शहीद कौशल यादव के व्यक्तित्व का बखान करतीं मां धनवंता देवी की आंखें कभी बेटे की गैर मौजूदगी से परेशान होकर भर आतीं हैं तो कभी वो गर्व से मुस्कुराने लगती हैं। वो कहती हैं, मेरा बेटा युद्ध के मैदान पर मातृभूमि के लिए शहीद हुआ है। उसकी जितनी तारीफ करूं कम है।
शहीद की मां बताती हैं- बेटे ने कभी आराम की नौकरी नहीं करनी चाही। स्कूल पास करने के बाद से ही उसके दिमाग में सेना में भर्ती की धुन सवार थी। आखिरकार अपनी जिद के चलते वह सेना में भर्ती हो गया। इसी बीच भिलाई इस्पात संयंत्र से उसे अच्छे पद पर नौकरी का ऑफर भी आया लेकिन उसने देशसेवा को प्राथमिकता दी। मैंने उससे कई बार कहा कि बेटा, घर में ही रहकर नौकरी कर लो लेकिन उसने देश की सेवा के लिए वर्दी को ही चुना।
मेरा लाला शहीद हो गया
करगिल युद्घ में टाइगर हिल की लड़ार्इ में दुश्मन की एक गोली कौशल के कंधे पर लगी। काफी इलाज के बाद भी उसकी सांसें उखड़ने लगीं आैर मेरा लाला देश के लिए शहीद हो गया।
सेना में जाने की बात सुन दिल धक्क हो गया
करगिल विजय के 18 साल बाद भी गीता सिंह की जिंदगी जैसे एक बार फिर से उलटी घूमने लगी है। पहले वे पति शहीद समर बहादुर सिंह का छुटटियों में लौटने का इंतजार करती थीं आैर अब बेटे राहुल का जो सेना में कांस्टेबल है। गीता बताती हैं कि राहुल को कर्ज लेकर इंजीनियर बना रही थी। पढ़ार्इ के दौरान उसने सेना में जाने की इच्छा जतार्इ। यह सुनकर एक बार फिर दिल धक्क हो गया। समझ नहीं आ रहा था कि उसे क्या जवाब दूूं। फिर शहीद पति की इच्छा समझ कर उसे इजाजत दे दी।
Bureau Report
Leave a Reply