जयपुर: चीन ने दुनिया के कई देशों को इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स और आर्थिक वेंचर को बढ़ावा देने के लिए लोन दिया है। भारत भी इसमें पीछे नहीं रहना चाहता। वह तेजी से उन गड़बडिय़ों को दूर करने में जुटा है, जो अफ्रीका में लाइन ऑफ क्रेडिट तंत्र की कोशिशों से जुड़ी हैं।
दिल्ली ने जहां 2003-2014 के दौरान अपने पार्टनर्स को 10 अरब डॉलर का एलओसी मुहैया कराया, वहीं मोदी सरकार के आने के बाद से यह आंकड़ा 24.2 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। मई 2014 के बाद से 14.2 अरब डॉलर के 52 एलओसी मुहैया कराए जा चुके हैं और इस साल आने वाले समय में जब जॉर्डन के राजा और बेलारूस के राष्ट्रपति भारत दौरे पर आएंगे, तो और एलओसी मुहैया कराए जा सकते हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अफ्रीका में प्रोजेक्ट्स बनाने में एलओसी के जरिये भारत का सहयोग काफी अहम रहा है, जहां पिछले 2 साल में 20 बड़े प्रोजेक्ट पूरे हुए हैं। विदेश मंत्रालय की डिवेलपमेंट पार्टनरशिप ऐडमिनिस्ट्रेशन इकाई (डीपीए) के जरिये मुहैया कराए गए एलओसी के तहत फोकस अब इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर है न कि सिर्फ क्षमता निर्माण वाले वेंचर पर। सूत्रों ने इस सिलसिले में अफ्रीका में दो ऐसी कोशिशों का जिक्र किया है, जिनमें घाना के राष्ट्रपति कार्यालय और गांबिया में नैशनल असेंबली बिल्डिंग कॉम्प्लेक्स शामिल हैं।
Bureau Report
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