नईदिल्ली: बिहार में की राजनीति में आया सियासी भूचाल कुछ दिनों की तकरार का नतीजा नहीं है, बल्कि इसके पीछे राज्य की सत्ता में बैठे दो बड़े दल जेडीयू और आरजेडी द्वारा किए गए सियासी उठापटक के दांव-पेंच माने जा रहे है. बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बीच कई दिनों से तनातनी चल रही थी लेकिन किसी को भी यह अनुमान नहीं था कि नीतीश कुमार इस्तीफा दे देंगे.
जेडीयू के कुछ नेताओं का कहना है कि चारा घोटाले और तमाम मामलों से परेशान लालू असल में बीजेपी से डील कर नीतीश को सत्ता से बेदखल करने की योजना बना रहे थे, लेकिन नीतीश कुमार को इसकी भनक लग गई और उन्होंने इसके पहले ही बाजी पलट दी.
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक खुद लालू यादव बीजेपी से डील कर नीतीश की सत्ता पलटना चाहते थे. जेडीयू के सूत्रों के मुताबिक नीतीश वैसे तो पहले से ही आरजेडी के तमाम मंत्रियों के आचरण से खुश नहीं थे, लेकिन यह गठबंधन इतनी जल्दी नहीं टूटता, अगर नीतीश को एक महत्वपूर्ण खबर की भनक न लगी होती. जेडीयू सूत्रों की मानें तो लालू प्रसाद ने दो केंद्रीय मंत्रियों तक अपने दूत भेजकर अपने परिवार पर आए कानूनी पचड़े को दूर करने की मदद मांगी थी और उसके बदले बिहार में नीतीश को सत्ता से बाहर करने की पेशकश की थी.
अखबार के मुताबिक दोनों दलों के बीच असली लड़ाई तब शुरू हुई जब लालू और उनके करीबी सहयोगी और आरजेडी के सांसद प्रेम चंद गुप्ता मोदी सरकार में कुछ नेताओं से मिले थे. ज्यादातर, गुप्ता ने बीजेपी के नेताओं से मुलाकात की, लेकिन फिर कई बार लालू भी साथ गए. यह मुलाकात लालू और उनके परिवार के खिलाफ शुरू की गई जांच को बंद कराने की कोशिश थी जिसके लिये आरजेडी बिहार में नीतीश सरकार को गिराने के लिये भी तैयार थी.
जब इस बात की भनक नीतीश कुमार को लगी तो उन्होंने सच को पुख्ता कर आनन-फानन में नीतीश ने बीजेपी के कुछ प्रमुख नेताओं से बात की और त्यागपत्र देने के बाद फिर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की योजना बनाई.
Bureau Report
Leave a Reply