अलवर: राज्य सरकार के एक आदेश ने इन दिनों सरकारी कर्मचारियों की नींद उड़ा रखी है, यह आदेश है कि सरकार अब 50 साल से ज्यादा उम्र वाले कर्मचारियों का परीक्षण कराएगी। हालांकि सरकार ने स्वास्थ्य परीक्षण की वजह का खास खुलासा नहीं किया है, लेकिन कर्मचारी वर्ग में बैचेनी जरूर बढ़ा दी है।
एक तरफ कर्मचारी वर्ग उनके होने वाले स्वास्थ्य परीक्षण के आदेश से परेशान है, वहीं अलवर जिला मुख्यालय स्थित सबसे बड़े अस्पताल में कर्मचारियों की जांच के पर्याप्त इंतजाम ही नहीं है। सरकारी फरमान के बड़ी संख्या में जांच होने और इसके लिए अस्पताल में पर्याप्त संसाधन नहीं होने से चिकित्सा विभाग में खलबली मची हुई है।
अलवर जिले में 18 हजार से अधिक राज्य सरकार के कर्मचारी हैं। इनमें से 10 हजार से अधिक कर्मचारी 50 साल की उम्र पार कर चुके हैं। सरकार ने 50 साल से अधिक उम्र के सभी सरकारी कर्मियों की स्वास्थ्य जांच के आदेश दिए हैं। इसमें मरीजों की आंख, शूगर, हार्ट, लीवर, लिक्विड प्रोफाइल, बीपी सहित कई तरह की जांच होनी है।
इनमें कुछ जांच तो सामान्य, जनाना अस्पताल व जिले के अन्य सरकारी अस्पतालों में होती है, लेकिन लिक्विड प्रोफाइल सहित कई जांच सरकारी अस्पताल की लैब में कर पाना संभव नहीं है। एेसे में स्वास्थ्य विभाग को कर्मचारियों की जांच में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वहीं कर्मचारियों को भी अस्पताल में सीमित संसाधनों के चलते जांच के लिए बार-बार चक्कर लगाने की मजबूरी झेलनी पड़ सकती है।
14 तरह की होती हैं जांच
स्वास्थ्य परीक्षण में 14 तरह की जांच होती है। सीबीसी, डीएलसी, पीबीएफ, यूरिन में चार तरह की जांच, ब्लड शूगर में दो तरह की जांच, लिक्विड प्रोफाइल में पांच तरह की जांच, लिवर टैस्ट चार तरह की जांच, किडनी टैस्ट में तीन तरह की जांच, हार्ट में तीन तरह की जांच, एक्स रे, ईसीजी, यूएसजी, महिलाओं से जुड़ी छह, नेत्र से जुड़ी पांच, ईएनटी से जुड़ी चार की जांच व एचबीएस जांच शामिल है।
आयु का क्या है नियम
सरकार के हिसाब से एक अप्रेल 2017 तक जिन कर्मचारी की आयु 56 से 59 वर्ष की वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन रिपोर्ट 2017-18 व अनिवार्य स्वास्थ्य जांच का वर्ष 2017-18 होगा। इसी तरह से जिन कर्मियों की आयु 53 से 56 वर्ष है 2018-19 व अनिवार्य 2018-19 व जिन कर्मियों की आयु 50 से 53 वर्ष है। उनकी वार्षिक कार्य मूल्यांकन 2019-20 व अनिवार्य स्वास्थ्य जांच का वर्ष 2019-20 होगा। ध्ूारा पड़ा है।
राज्य सरकार कर्मचारी विरोधी नीतियों पर उतारू है। कर्मचारियों के खिलाफ आए दिन नए आदेश जारी किए जा रहे हैं। कर्मचारियों की वेतन वृद्धि रोक दी गई है। अब स्वास्थ्य जांच के नाम पर कर्मचारियों को हटाने के प्रयास किए जा रहे हैं। लोकतंत्र में कर्मचारी वर्ग की भूमिका बड़ी होती है। सरकार की नीति पूरी तरह से गलत है।
इस तरह का अभी तक कोई कानून नहीं है। आज तक यह नियम है कि 60 साल तक उम्र के कर्मचारी को सेवानिवृत्ति दी जाती है। उससे पहले अगर कर्मचारी के साथ कोई घटना हो जाए या उस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो उसे नौकरी से हटा दिया जाता है। मेडिकल आधार पर एेसे निर्णय का कोई कानून है या नहीं। यह केवल एक घोषणा है। जब यह नियम बन जाएगा। तब उसकी चिंता की जाएगी।
जो जांच अस्पताल में नहीं होती है। उन जांच के लिए निजी लैब से अनुबंध किया जाएगा, जिससे कोई दिक्कत नहीं हो। जल्द ही यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
Bureau Report
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