नईदिल्ली: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने 31 जुलाई से बचत खातों पर लगने वाली ब्याज दरों को कम कर दिया है. यह बदलाव दो भागों में किया गया है. अब जिसके भी खाते में एक करोड़ रुपये से कम जमा है उसे ब्याज 4 फीसदी की दर से घटाकर 3.5 फीसदी मिलेगी. जबकि एक करोड़ रुपये से ज़्यादा की जमा पर 4 फीसदी ब्याज ही मिलता रहेगा. यह बदलाव एसबीआई की तरफ से छह साल बाद किया गया है.
देश के सबसे बड़े बैंक के इस कदम को उठाने के बाद 37 करोड़ लोगों को करीब 4700 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान जताया जा रहा है. बड़ा सवाल यह है कि आखिर एसबीआई को ब्याज दरों में कटौती क्यों करनी पड़ी? पढ़िए दो बड़े कारण जिनकी वजह से एसबीआई को बचत खातों का ब्याज कम करना पड़ा.
60 हजार करोड़ बैंक में
एसबीआई के सीएफओ अंशुल कांत के मुताबिक नोटबंदी में 8 नवंबर से 31 दिसंबर के बीच कुल 54 दिनों में डेढ़ लाख करोड़ रुपये जमा हुए थे. इसका 40 फीसदी हिस्सा अब भी बैंक में हैं. इससे बैंक पर ब्याज का भार बढ़ रहा है. विश्लेषक एसबीआई के इस कदम को बेहतर मान रहे हैं. उनका मानना है इस कदम से एसबीआई के मुनाफे में बढ़ोतरी हो सकती है.
महंगाई दर में कमी
जनवरी में महंगाई दर 3.17 प्रतिशत थी, जून में यह घटकर 1.54 फीसदी रह गई. यानी लोगों को बैंकों में जमा पर पहले से ज्यादा बच रहा है. वास्तविक ब्याज कम हुआ है. बैंक के पास दो विकल्प थे. एमसीएलआर बढ़ाए या ब्याज घटाए. एमसीएलआर बढ़ाने से कर्ज महंगा होता. सो दूसरा विकल्प चुना.
एसबीआई ने एक बयान में कहा कि मुद्रास्फीति की दर में कमी तथा वास्तविक ऊंची ब्याज दरों की वजह से बचत खातों पर दिए जाने ब्याज की दर में बदलाव करना जरूरी हो गया था. बैंक ने यह भी कहा कि उन्होंने बचत तथा चालू जमा खातों में नोटबंदी के बाद आए भारी नकदी प्रवाह को ध्यान में रखते हुए अपने मुख्य ऋण दर या मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेल्ड लेंडिंग रेट को भी 90 आधार अंक घटा दिया गया है, और यह बदलाव 1 जनवरी, 2017 से प्रभावी होगा. इस घोषणा के बाद एसबीआई के शेयरों में तीन फीसदी तक का उछाल देखने को मिला.
Bureau Report
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