वाशिंगटन: पाकिस्तान आधारित आतंकवादी सैयद सलाहुद्दीन को वैश्विक आतंकी घोषित करने के करीब दो महीने बाद बुधवार को अमेरिका ने कश्मीर में सक्रिय उसके संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन को विदेशी आतंकी समूह घोषित कर दिया. कश्मीर में हाल के महीनों में हिज्बुल की बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों की पृष्ठभूमि में अमेरिका ने यह फैसला किया है. आतंकी समूह घोषित होने के बाद उस पर अमेरिका की तरफ से कई तरह के प्रतिबंध होंगे.
अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा, ‘हिज्बुल मुजाहिदीन को आतंकी हमले करने के लिए संसाधनों से उपेक्षित करने के प्रयास के तहत उसे आतंकी समूह घोषित किया गया है.’इस फैसले के बाद अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में आने वाली हिज्बुल की सभी संपत्तियों और संपत्ति से जुड़े उसके हितों पर रोक लग जाएगी तथा अमेरिका का कोई भी व्यक्ति इस समूह के साथ किसी तरह का लेनदेन नहीं कर सकेगा.
आतंकी बुरहान वानी की तारीफ कर चुके हैं नवाज और बाजवा
अमेरिका का यह फैसला पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है जो इस समूह को कश्मीरी लोगों की आवाज के तौर पर पेश करता आ रहा है. पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने हिज्बुल के कमांडर बुरहान वानी की कई बार तारीफ की थी. बुरहान पिछले साल जुलाई में कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था.
हिज्बुल का गठन 1989 में हुआ और यह जम्मू-कश्मीर में सक्रिय सबसे पुराने और बड़े आतंकी संगठनों में से एक है. जम्मू-कश्मीर में हुए कई आतंकी हमलों की जिम्मेदारी हिज्बुल मुजाहिदीन ने ली है.
अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि आतंकवाद से जुड़ा घोषित होने से संगठन और व्यक्ति बेनकाब होते हैं तथा अलग-थलग पड़ जाते हैं और अमेरिकी वित्तीय व्यवस्था तक उनकी पहुंच खत्म हो जाती है. इसके साथ ही इस कदम से अमेरिका और दूसरी सरकारों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को मदद मिलती है.
मोदी-ट्रंप मुलाकात से पहले सलाहुद्दीन घोषित हुआ वैश्विक आतंकी
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच सोमवार (26 जून) को होने वाली बैठक से ठीक पहले अमेरिका ने पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के नेता सैयद सलाहुद्दीन को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने सैयद सलाहुद्दीन के नाम से मशहूर मोहम्मद यूसुफ शाह को विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) घोषित कर दिया है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सितंबर, 2016 में सलाहुद्दीन ने कश्मीर मसले की किसी शांतिपूर्ण समाधान की कोशिश को बाधित करने का संकल्प लिया था, अधिक से अधिक कश्मीरी युवाओं को आत्मघाती हमलावर बनाने की चेतावनी दी थी और कश्मीर घाटी को ‘भारतीय सुरक्षाबलों के लिए कब्रगाह’ में तब्दील करने का संकल्प भी लिया था. बयान में आगे कहा गया है, “हिजबुल मुजाहिदीन के वरिष्ठ नेता रहने के दौरान सलाहुद्दीन के नेतृत्व में हिजबुल ने जम्मू एवं कश्मीर में अप्रैल, 2014 को हुए बम विस्फोट हमले सहित अनेक आतंकवादी हमलों की जिम्मेदारी ली.”
Leave a Reply