साल 2002 में गुमनाम लड़कियों ने डेरा के अंदर हो रहे यौन उत्पीड़न को लेकर चिट्ठियां लिखी थी. इसके बाद छत्रपति ने इस मामले में जांच शुरू की. वह ‘पूरा सच’ के नाम से अखबार निकालते थे. इसमें उन्होंने एक गुमनाम पत्र को छाप दिया था. इसमें दो साध्वियों के साथ रेप और हिंसा की बात पर बहुत ही मार्मिक घटना का जिक्र किया गया था.
साध्वियों से मिला था इनपुट
रिपोर्ट के मुताबिक, छत्रपति की रिपोर्ट के बाद पूरा इलाके में उनकी बहादुरी की चर्चा होने लगी थी. कई और साध्वियों ने उन्हें कुछ इनपुट उपलब्ध कराई. बताया जाता है कि उनकी मौत के बाद सीबीआई के जांच अधिकारी सतीश डागर ने भी इस केस में बड़ी भूमिका निभाई. साध्वियों को उनका सपोर्ट मिलता रहा.
सीबीआई ने की जांच
बता दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पास ये मामला जाने के बाद इसे सिरसा के सेशन जज को सौंपा गया था. दिसंबर 2003 में इसे सीबीआई को सौंप दिया गया और सतीश डागर ने इसकी जांच शुरू की. डागर ने ही सबसे पहले साध्वी को खोजा था और उसे बयान देने के लिए तैयार किया था.
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