नईदिल्ली: गोरखपुर स्थित बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज (बीआरडी) में हुई दर्दनाक घटना से सबक लेते हुए दिल्ली सरकार ने अपने सभी अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों (एमएस) की पॉवर बढ़ा दी है. दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक अब एक करोड़ रुपए तक के चिकित्सा उपकरण और दवाइयों की खरीद कर सकते हैं. बता दें कि अब तक छोटे अस्पतालों के एमएस 10 लाख रुपए और बड़े अस्पतालों के एमएस 50 लाख रुपए तक की ही खरीदारी कर सकते थे.
अस्पतालों में 90 प्रतिशत दवाइयां स्टॉक में
बुधवार को मुख्यमंत्री ने दिल्ली सचिवालय में सभी चिकित्सा अधीक्षकों संग समीक्षा बैठक की. बैठक में चिकित्सा अधीक्षकों को अस्पतालों में ऑक्सीजन गैस की उपलब्धता, अस्पतालों में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न उपकरणों की उपलब्धता जरूरत सहित दवाइयों के बारे में पूरी स्टेटस रिपोर्ट के साथ पहुंचने के लिए कहा गया था. बैठक के बाद दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने बताया कि बैठक के दौरान जानकारी मिली है कि दिल्ली के अस्पतालों में 90 प्रतिशत दवाइयां स्टॉक में हैं. शेष 10 प्रतिशत दवाइयों की कमी है, जिन्हें जल्द से जल्द उपलब्ध कराया जाना चाहिए. अब चिकित्सा अधीक्षक आपातकालीन स्थिति में बगैर टेंडर के ही दवाइयां खरीद सकते हैं.
ऑक्सीजन और जरूरी दवा की पर्याप्त व्यवस्था
स्वास्थ्यमंत्रालय ने केंद्रीय अस्पतालों को चिट्ठी लिखकर स्पष्ट निर्देश दिया है कि अस्पताल में हर हाल में ऑक्सीजन और जरूरी दवा की पर्याप्त व्यवस्था करें. केंद्रीय मंत्रालय की ओर से दिल्ली के सफदरजंग, राम मनोहर लोहिया अस्पताल के अलावा लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज सह सुचेता कृपलानी बाल चिकित्सालय को लिखी इस चिट्ठी में कहा गया है कि किसी भी तरह की कोताही बरतने पर सख्त कार्रवाई की बात कही गई है. सभी अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों के साथ मंत्रालय में बैठक भी हुई है जिसमें हालात पर चर्चा की गई. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अस्पताल-प्रशासन को कहा गया है कि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी के अलावा चिकित्सीय उपकरणों के रखरखाव और मरम्मत करने वाली कंपनी का पेमेंट समय पर किया जाए.
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