नईदिल्ली: राज्यसभा में सोमवार को कई बीजेपी सदस्यों के गैरहाजिर रहने की वजह से हुई सरकार की किरकिरी को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने गंभीरता से लिया है. अमित शाह ने पार्टी सदस्यों से कहा है कि ऐसा दोहराया न जाए. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी राज्यसभा में अनुपस्थित रहे सांसदों से सफाई मांग सकती है. बता दें कि पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए राज्य सभा में पेश 123 वें संविधान संशोधन विधेयक पर विपक्ष के संशोधनों ने न सिर्फ केन्द्र सरकार बल्कि समूचे सदन को गंभीर तकनीकी पेंच में उलझा दिया. इसकी वजह से संसद में सोमवार को कई बार ऐसे नजारे देखने को मिले जो अक्सर देखने को नहीं मिलते.
विपक्ष ने पेश किए संशोधन
सामाजिक अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत द्वारा पेश संशोधन विधेयक पर लगभग चार घंटे की बहस के बाद कांग्रेस सदस्य दिग्विजय सिंह, बीके हरिप्रसाद और हुसैन दलवई ने प्रस्तावित आयोग की सदस्य संख्या तीन से बढ़ाकर पांच करने, एक महिला सदस्य और एक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य को शामिल करने का प्रावधान विधेयक में शामिल करने के संशोधन पेश किए.
दिग्विजय सिंह ने कर दी मतविभाजन की मांग
इस पर गहलोत ने इन प्रावधानों को अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग की तर्ज पर प्रस्तावित पिछड़ा वर्ग आयोग की नियमावलि में शामिल करने का आश्वासन देते हुये विपक्षी सदस्यों से संशोधन प्रस्तावों को वापस लेने का अनुरोध किया. लेकिन सिंह ने संशोधन प्रस्ताव वापस लेने के बजाय उपसभापति पी जे कुरियन से इस पर मतविभाजन की मांग कर सत्तापक्ष की मुसीबत बढ़ा दी.
सरकार के असहज स्थिति बनी
मतदान में संशोधन प्रस्ताव के पक्ष में 75 और विरोध में 54 मत मिलने पर सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई. इस अप्रत्याशित हालात पैदा होने पर सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष के मौजूद नामचीन वकील सदस्यों कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आपसी विचार विमर्श से बीच का रास्ता निकालने की पुरजोर कोशिश की गई. कुरियन ने स्पष्ट किया कि प्रस्तावित संशोधन प्रस्ताव के साथ विधेयक को आंशिक तौर पर पारित मानते हुये इसे फिर से लोकसभा के समक्ष भेजा जाएगा. इस तकनीकी पेंच के कारण राज्यसभा से स्वीकार किए गए संशोधन प्रस्तावों को लोकसभा द्वारा मूल विधेयक में फिर से शामिल कर या नया विधेयक पारित कर फिर से इसे उच्च सदन में पारित कराने के लिये भेजा जाएगा.
कांग्रेस–बीजेपी आमने सामने
सदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिये स्थगित किये जाने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सदस्य राजीव शुक्ला ने बताया कि किसी संविधान संशोधन विधेयक को लेकर इस तरह अप्रत्याशित स्थिति पहली बार पैदा हुई. इसे सत्तापक्ष के लिये शर्मनाक बताते हुये शुक्ला ने कहा कि इसके पीछे संसदीय कार्य मंत्री और विभागीय मंत्री द्वारा अधूरी तैयारी के साथ सदन में विधेयक पेश करना मुख्य कारण है. दूसरी ओर भाजपा सदस्य प्रभात झा ने विपक्ष को इस स्थिति के लिये जिम्मेदार ठहराते हुये कहा कि कांग्रेस सदस्यों ने सदन में जानबूझ कर तकनीकी बाधा पैदा कर देश के पिछड़ा वर्ग के लोगों के साथ विश्वासघात किया है.
Bureau Report
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