औरंगाबाद: औरंगाबाद नगर निगम के सदन में शनिवार (19 अगस्त) को ‘वंदे मातरम्’ गीत के दौरान ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के दो पार्षद खड़े नहीं हुए. इस पर हंगामा शुरू हो गया. बाद में एआईएमआईएम के दोनों पार्षदों को निलंबित कर दिया गया. कार्यवाही शुरू होने से पहले ‘वंदे मातरम्’ गीत गाया गया. उस दौरान ये दोनों पार्षद अपनी सीट पर बैठे रहे. इस पर विरोध जताते हुए शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों ने सदन में एआईएमआईएम के दोनों पार्षदों के खिलाफ नारे लगाए.
विरोध प्रदर्शन जल्द ही सत्तारूढ़ व विपक्षी पार्षदों के बीच तीखी नोकझोंक में बदल गया और इस दौरान सदन के अंदर धक्का-मुक्की हुई, माइक्रोफोन फेंका गया, पंखों और वहां रखे समानों में तोड़फोड़ भी की गई. शिवसेना और भाजपा के सदस्यों ने एआईएमआईएम के दोनों पार्षदों का जोरदार विरोध किया और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते हुए कहने लगे, “अगर आप इस देश में रहना चाहते हैं, तो आपको ‘वंदे मातरम्’ कहना पड़ेगा.”
हंगामे के बीच नगर निगम के महापौर भगवानदास घडामोडे (भाजपा) ने कार्यवाही दो बार स्थगित की और दिनभर के लिए सदन को स्थगित करने से पहले दोनों एआईएमआईएम पार्षदों को एक दिन के लिए निलंबित करने की घोषणा की. एआईएमआईएम के विधायक इम्तियाज जलील ने कहा कि ऐसा कोई भी कानून नहीं है कि ‘वंदे मातरम्’ के गायन के दौरान लोगों का खड़ा होना जरूरी है, हालांकि यह एक परंपरा है, जिसे सम्मान दिया गया है. उन्होंने कहा, “इस बात को लेकर हम बहुत स्पष्ट हैं कि जब भी ‘वंदे मातरम्’ गाया जाता है तो हमें खड़ा होना चाहिए.”
जलील ने कहा कि उन्होंने इस घटना की विस्तृत जानकारी मांगी है. 113 सदस्यीय औरंगाबाद नगर निगम में एआईएमआईएम 25 पार्षदों के साथ सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है. सत्तारूढ़ गठबंधन की घटक शिवसेना के 29 और भाजपा के 22 पार्षद हैं. विपक्षी कांग्रेस के 8 और निर्दलियों समेत अन्य 24 पार्षद हैं.
Bureau Report
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