जबलपुर: इंसाफ मांगने के लिए आम लोगों के धरने पर बैठने का मामला तो आपने पढ़ा ही होगा. लेकिन आश्चर्य तब हुआ जब एक जज इंसाफ की मांग के लिए हाईकोर्ट के बाहर धरने पर बैठ गए. मध्यप्रदेश में जबलपुर हाईकोर्ट के 61 साल के इतिहास में पहली बार कोई जज कोर्ट के सामने धरने पर बैठा है. जबलपुर हाईकोर्ट के गेट नंबर-3 पर मंगलवार को ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी और अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश (एडीजे) आरके श्रीवास सत्याग्रह कर रहे हैं.
एडीजे आरके श्रीवास 15 महीने में 4 बार ट्रांसफर होने के कारण धरने पर बैठे हैं. पहले वह कोर्ट परिसर में ही धरना देना चाहते थे, लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया. उनका कहना है कि सच बोलने की वजह से उन्हें बार-बार ट्रांसफर कर प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्होंने बुधवार को भी धरने पर बैठने का ऐलान किया. धरने के दौरान एडीजे आरके श्रीवास की बेबसी उनके चेहरे पर साफ देखी जा सकती है.
श्रीवास कहते हैं कि मैं चीफ जस्टिस और रजिस्ट्रार जनरल को अपने साथ हुए अन्याय से अवगत करा चुका हूं. इसके बावजूद हाईकोर्ट प्रशासन से अब तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है. हर 4 महीने पर ट्रांसफर से मेरा परिवार परेशान हो चुका है. इस बार जैसे-तैसे जबलपुर के क्राइस्ट चर्च स्कूल में बच्चे का एडमिशन करवाया था. एक को पढ़ाई के लिए नीमच में छोड़ना पड़ा, क्योंकि वहां से भी तबादला कर दिया गया था. 15 माह में किसी जज का चार बार तबादला हाईकोर्ट की ट्रांसफर पॉलिसी के भी खिलाफ है.
इस व्यवस्था में 80 फीसदी लोग पीड़ित हैं, पर कोई बोलने को तैयार नहीं है. यदि कोई बोलता है तो उसका ट्रांसफर कर दिया जाता है. लेकिन मैंने झुकने के बजाय संघर्ष का रास्ता चुना है. मुझे अब तक नीमच में ज्वाइन कर लेना था, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया. मैंने नौकरी को दांव पर लगाकर सत्याग्रह की राह पकड़ी है.
मैं जेल जाने को भी तैयार हूं. लेकिन अन्याय किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करूंगा. मैं सिर्फ नौकरी करने के लिए पैदा नहीं हुआ हूं. यदि मैं गलत साबित होता हूं तो तत्काल इस्तीफा देने को भी तैयार हूं. मैं एक जज हूं और मेरे साथ भी न्याय होना चाहिए. यदि मुझे न्याय नहीं मिला तो धरने के बाद अनशन करूंगा. वहीं, अब एडीजे के पक्ष में बार काउंसिल के वकील खड़े होने लगे हैं. कड़ी धूप में बैठकर धरना दे रहे जज श्रीवास के लिए वकीलों ने छाते मंगवाए.
पिछले 15 माह में हुए ट्रांसफर
– 11अप्रैल 2016 को धार से शहडोल ट्रांसफर.
– 27 अगस्त 2016 को शहडोल से सिहोरा ट्रांसफर.
– 7 मार्च 2017 को सिहोरा से जबलपुर हाईकोर्ट.
– 21 मार्च 2017 जबलपुर से नीमच.
Bureau Report
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