हिन्दी के विख्यात कवि चंद्रकांत देवताले नहीं रहे

हिन्दी के विख्यात कवि चंद्रकांत देवताले नहीं रहेनईदिल्ली: साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हिंदी के वरिष्ठ कवि चंद्रकांत देवताले का सोमवार देर रात एक अस्पताल में निधन हो गया. वह 81 वर्ष के थे.जानकार सूत्रों ने बताया कि वह पिछले एक माह से राजधानी के एक अस्पताल में भर्ती थे. उनके परिवार में उनकी दो पुत्रियां हैं.

देवताले का जन्म मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के जौल खेड़ा गांव में 7 नवंबर 1936 को हुआ था. उनकी शुरुआती शिक्षा इंदौर से हुई जबकि पीएचडी सागर यूनिवर्सिटी, सागर से की. वह साठोत्तरी हिंदी कविता के प्रमुख हस्ताक्षर थे और 1960 के दशक में अकविता आंदोलन के साथ उभरे थे. उस समय उनका कविता संग्रह ‘लकड़बग्घा हंस रहा है’ कफी चर्चित हुआ था.

हिंदी में एम ए करने के बाद उन्होंने मुक्तिबोध पर पीएचडी की थी.उन्होंने इंदौर में एक कॉलेज से शिक्षक के रूप में अपनी सेवा भी दीं. कॉलेज से सेवानिवृत्त होने के बाद से वह स्वतंत्र लेखन कर रहे थे।

उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान के अलावा मध्यप्रदेश शिखर सम्मान तथा मैथिली शरण गुप्त सम्मान मिला था. उनकी चर्चित कृतियों में ‘रोशनी के मैदान के उस तरफ’, ‘पत्थर फेंक रहा हूँ,’ और ‘हड्डियों में छिपे ज्वार’ और ‘हर चीज में आग बतायी गयी थी’ आदि प्रमुख हैं. 

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