नईदिल्ली: भारतीय सेना में सुधार को लागू करने के लिए सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल डी. बी. शेकतकर (सेवानिवृत्त) समिति की सिफारिशों के पहले बैच की 65 सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है, जिसके तहत 57,000 सैन्य कर्मियों की विभिन्न जरूरी कामों के लिए दोबारा तैनाती होगी. केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली रक्षा मंत्रालय भी संभाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया कि इन सिफारिशों को साल 2019 के अंत तक लागू कर दिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने इस पर मंगलवार (29 अगस्त) को फैसला किया था, जिसे मंत्रिमंडल ने बुधवार (30 अगस्त) को मंजूरी दे दी. जेटली ने कहा, “यह आजादी के बाद भारतीय सेना में किया गया सबसे बड़ा सुधार है और इसे सेना के परामर्श से लागू किया जाएगा.” उन्होंने कहा, “इसके तहत 57,000 अधिकारियों, जेसीओ और अन्य रैंक के अधिकारियों की फिर से तैनाती की जाएगी.” सरकार ने शेकतकर समिति का गठन सश बलों की आक्रामक क्षमता बढ़ाने तथा रक्षा पर होने वाले खर्च के पुर्नसतुलन के तरीके सुझाने के लिए किया था.
सशस्त्र बलों में सुधार के पीछे डोकलाम विवाद नहीं : जेटली
रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा सश बलों में सुधारों को दी गई मंजूरी का चीन के साथ हुए डोकलाम विवाद का कोई संबंध नहीं है. जेटली ने यहां कहा, “डोकलाम विवाद से काफी पहले सश बलों में सुधारों को लेकर लेफ्टिनेंट जनरल डी. बी. शेकातकर (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी और इस समिति की सिफारिशों पर लंबे समय से विचार-विमर्श चल रहा था.”
सरकार ने सीमा पर सीधा मोर्चा लेने वाले सैनिकों और उन्हें लॉजिस्टिक्स सहित अन्य आपूर्ति एवं मदद मुहैया कराने वाले सैनिकों के बीच के अनुपात में सुधार या वृद्धि करने के उद्देश्य से यह समिति गठित की थी. जेटली ने कहा, “शेकातकर समिति ने दिसंबर, 2016 को रक्षा मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. तब से हमने इस समिति की 99 में से 65 सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं.”
जेटली ने हालांकि डोकलाम विवाद से पड़े प्रभाव पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि विदेश मंत्रालय इस मुद्दे पर पहले ही प्रतिक्रिया दे चुका है. जेटली ने कहा, “इस मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए मेरे लिए इस पर टिप्पणी करना सही नहीं होगा. विदेश मंत्रालय पहले ही इस पर विस्तार से प्रतिक्रिया दे चुका है और वही सरकार का आधिकारिक पक्ष है.”
विदेश मंत्रालय ने 28 अगस्त को एक बयान जारी कर कहा था, “बीते कई सप्ताह से भारत और चीन के बीच डोकलाम मुद्दे पर कूटनीतिक संपर्क कायम रखा. कूटनीतिक बातचीत के दौरान हम अपना विचार रखने और अपनी चिंता एवं हितों को बताने में सफल रहे.”
Bureau Report
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