मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक की बुधवार (30 अगस्त) को जारी वार्षिक रपट के अनुसार नोटबंदी में प्रतिबंधित 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों में 99% नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए हैं. इसके बाद विपक्ष ने सरकार के इस अभूतपूर्व फैसले पर सवाल उठाने शुरु कर दिए हैं. उल्लेखनीय है कि सरकार ने कालेधन और भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने के लिए पिछले साल 8 नवंबर की मध्यरात्रि से इन बड़े मूल्य के नोटों के चलन को रोक दिया और इनके बदले नए नोट जारी किए गए.
केंद्रीय बैंक लंबे समय से नोटबंदी के बाद बैंकिंग प्रणाली में वापस आए नोटों की वास्तविक संख्या बताने में आनाकानी करता रहा, लेकिन बुधवार को जारी अपनी वार्षिक रपट में उसने बताया कि प्रतिबंधित मुद्रा में से 15.28 लाख करोड़ रुपये उसके पास वापस आ गए और मात्र 16,050 करोड़ रुपये की मुद्रा ही उसके पास नहीं लौट सकी है. वर्ष 2016-17 की अपनी वार्षिक रपट में केंद्रीय बैंक ने कहा कि नवंबर में हुई नोटबंदी से पहले 500 रुपये के 1,716.5 करोड़ और 1,000 रुपये के 685.8 करोड़ नोट चलन में थे जिनका कुल मूल्य 15.44 लाख करोड़ रुपये था.
रपट में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद 500 और 2,000 रुपये के नए नोटों के साथ अन्य मूल्य के नोटों को प्रिंट करने की लागत लगभग दोगुना बढ़कर 7,965 करोड़ रुपये हो गई जो उससे पिछले वर्ष में 3,421 करोड़ रुपये थी. नोटबंदी के कदम के समर्थन में सरकार ने कहा था कि इससे कालेधन, भ्रष्टाचार और नकली मुद्रा पर लगाम लगेगी. हालांकि रिजर्व बैंक ने अपने नमूना सर्वेक्षण में पाया कि चलन में रहे प्रति दस लाख 500 रुपये के नोटों में से मात्र 7.1 नोट और प्रति दस लाख 1,000 रुपये के नोटों में से मात्र 19.1 नोट ही नकली पाए गए.
इन आंकड़ों के आधार पर सरकार के नोटबंदी के फैसले की खिंचाई करते हुए पूर्व वित्त मंत्री पी. चिंदबरम ने कहा, ‘रिजर्व बैंक ने 16,000 करोड़ जुटाए लेकिन नए नोटों की छपाई पर 21,000 करोड़ रुपये खर्च कर दिए. इन अर्थशास्त्रियों को नोबल पुरस्कार मिलना चाहिए.’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘बंद किए गए 15,44,000 करोड़ रुपये के नोटों में से रिजर्व बैंक के पास 16,000 करोड़ रुपये नहीं लौटे. यह मात्र 1% है. रिजर्व बैंक पर लानत है जिसने नोटबंदी का ‘सुझाव’ दिया.’
केंद्रीय बैंक ने अपनी वार्षिक रपट में कहा है कि 1,000 रुपये के बंद हो चुके नोटों में से केवल 8.9 करोड़ नोट प्रणाली में वापस नहीं आए. यह चलन में रहे 1,000 रुपये के कुल नोटों का मात्र 1.3% है. इस प्रकार 1,000 रुपये के कुल 8,900 करोड़ रुपये मूल्य के नोट उसके पास वापस नहीं पहुंचे. हालांकि रिजर्व बैंक ने बंद हो चुके वापस नहीं लौटे 500 रुपये के नोटों की कोई विशेष संख्या नहीं बतायी है.
केंद्रीय बैंक ने कहा कि 30 जून 2017 तक बंद हो चुके पुराने नोटों में से प्राप्त नोटों का अनुमानित मूल्य 15.28 लाख करोड़ रुपये है. भविष्य में जब सत्यापन जांच पूरी होने पर इसमें बदलाव हो सकता है. नोटबंदी के बाद पुराने नोटों को बैंकों में जमा करने की अनुमति दी गई थी. इस दौरान असामान्य प्रकार की जमाओं को आयकर विभाग जांच के दायरे में लिया गया.
नए नोटों की प्रिटिंग और अन्य लागत में बढ़ोत्तरी से परिणामस्वरूप सरकार को रिजर्व बैंक से मिलने वाले लाभांश की हानि होगी. रिजर्व बैंक ने कहा कि 2016-17 में उसकी आय 23.56% घट गई जबकि उसके व्यय में 107.84% की वृद्धि हुई है. बैंक ने कहा, ‘जून में समाप्त उसके लेखा-वर्ष में उसकी कुल बचत (लाभ) 306.59 अरब रुपये रहा जो इससे पिछले वर्ष बचत 658.76 अरब रुपये थी. इस तरह केंद्रीय बैंक की बचत में 53.46% गिरावट दिखी.’
सरकार ने 500 रुपये के पुराने नोटों के स्थान पर इस मूल्य के नए नोट शुरु किए हैं पर 1,000 रुपये का कोई नया नोट जारी नहीं किया गया है. सरकार ने इस क्रम में 2,000 रुपये का एक नया नोट शुरु किया है. रपट में केंद्रीय बैंक ने बताया कि 31 मार्च 2017 तक 500 रुपये के पुराने और नए नोट मिलाकर कुल 588.2 करोड़ नोट बाहर थे. 31 मार्च 2016 के अंत में चलन में 500 रुपये के नोटों की संख्या 1,570.7 करोड़ थी.
मार्च 2017 के अंत तक 2,000 रुपये मूल्य के 328.5 करोड़ नोट चलन में आ चुके हैं. केंद्रीय बैंक ने 500 और 2,000 रुपये के नए नोटों के अलावा पिछले हफ्ते 200 रुपये का नया नोट भी शुरु किया है. रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर. गांधी ने कहा कि नोटबंदी का दीर्घकालिक प्रभाव होगा.
Bureau Report
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