नईदिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अबॉर्शन की इजाजत देने से जुड़ी एक पिटीशन पर सुनवाई की। कोर्ट ने 20 साल की पुणे की लड़की को अबॉर्शन की इजाजत दे दी। लड़की 24 हफ्ते से प्रेग्नेंट है। कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया था कि लड़की के गर्भ में पल रहे भ्रूण में सिर (skull) डेवलप नहीं हो सका है और इसका कोई इलाज नहीं है।
20 हफ्ते से अधिक के भ्रूण के अबॉर्शन पर देश में है रोक…
न्यूज एजेंसी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलीसिटर जनरल रंजीत कुमार ने बताया कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक अबॉर्शन के ऐसे मामलों से निपटने के लिए मेडिकल बोर्ड बनाने को कहा गया है।
बता दें कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के सेक्शन 3(2)(b) के तहत देश में 20 हफ्ते से अधिक के भ्रूण के अबॉर्शन पर रोक है। इससे अधिक के गर्भ को खत्म करने की इजाजत तभी दी जाती है, जब उसमें कोई मेडिकल एबनॉर्मिलिटी (abnormality) हो या उससे मां की जान को कोई खतरा हो।
ये फैसला इंसाफ के हित में
जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने अपना फैसला पुणे स्थित बीजे गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर सुनाया। बोर्ड ने कहा था कि भ्रूण में असामान्यता (abnormality) का कोई इलाज नहीं है। बेंच ने कहा, “हम प्रेग्नेंसी खत्म करने की इजाजत देने के फैसले को इंसाफ के हित में देखते हैं।”
डॉक्टर्स ने क्या कहा था?
20 साल की इस लड़की की पुणे के हॉस्पिटल में जांच की गई थी। डॉक्टर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भ्रूण बिना सिर और दिमाग के डेवलप हो गया है और इसके जिंदा बचने की गुंजाइश बेहद कम है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की पिछली सुनवाई के दौरान मेडिकल बोर्ड बनाने का आदेश दिया था और रिपोर्ट सौंपने के लिए 31 अगस्त की तारीख मुकर्रर की थी।
20 साल की इस लड़की की पुणे के हॉस्पिटल में जांच की गई थी। डॉक्टर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भ्रूण बिना सिर और दिमाग के डेवलप हो गया है और इसके जिंदा बचने की गुंजाइश बेहद कम है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की पिछली सुनवाई के दौरान मेडिकल बोर्ड बनाने का आदेश दिया था और रिपोर्ट सौंपने के लिए 31 अगस्त की तारीख मुकर्रर की थी।
पिटीशनर का क्या कहना था?
पिटीशनर का कहना था कि उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण में सिर डेवलप नहीं हो सका है और अगर बच्चा पैदा हो भी जाता है तो जिंदा नहीं बच पाएगा। ऐसी स्थिति में उसे अबॉर्शन की इजाजत दी जानी चाहिए।
पिटीशनर का कहना था कि उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण में सिर डेवलप नहीं हो सका है और अगर बच्चा पैदा हो भी जाता है तो जिंदा नहीं बच पाएगा। ऐसी स्थिति में उसे अबॉर्शन की इजाजत दी जानी चाहिए।
सॉलीसिटर जनरल ने बताया कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक अबॉर्शन के ऐसे मामलों से निपटने के लिए मेडिकल बोर्ड बनाने को कहा गया है।
Bureau Report
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