नईदिल्ली: अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर उठ रहे सवालों पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सख्त टिप्पणी की है. वेंकैया नायडू ने कहा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल सीमाओं में रहकर किया जाए तो ही बेहतर है. उन्होंने ये भी कहा कि भारतीयों के डीएनए में धर्मनिरपेक्षता है, यह किसी संविधान या कानून की वजह से नहीं है. उन्होंने कहा, ‘देश निर्माताओं ने लोकतांत्रिक भारत का सपना देखा था, जहां सभी को अपने विचार रखने की आजादी हो, अभिव्यक्ति की आजादी हो और पूजा पद्धति की आजादी हो. हालांकि ये भी कहा गया था कि ये आजादी सीमाओं में रहकर प्रयोग की जाए तो अच्छा होगा.’ अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी को चोट पहुंचाना कहीं से जायज नहीं है. उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने ये बातें चंडीगढ़ के इंडियन स्कूल ऑफ बिजनस की लीडरशिप समिट में कहीं.
वेंकैया नायडू ने कहा कि भारत के DNA में धर्मनिरपेक्षता है, इसलिए यहां सभी धर्म, समाज और संप्रदाय के लोग एक दूसरे का सम्मान करते हैं. मेरी अपील है कि लोग इसे खराब न करें. संविधान में केवल धर्मनिरपेक्षता शामिल करने से समाज एकजुट नहीं होता है, ये हमें विरासत में मिली है.
वेंकैया नायडू ने कहा, पुराणों से हमें पता चलता है, देवी सरस्वती शिक्षा मंत्री, देवी दुर्गा रक्षा मंत्री और देवी लक्ष्मी वित्त मंत्री होती थीं.’ उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय महिलाओं की ताकत के लिए हमारे दर्शन … हमारी संस्कृति में उन्हें सर्वोच्च महत्व दिया गया था. हमारे देश की प्रमुख नदियों (गंगा, यमुना, कावेरी, नर्मदा, महानदी, ताप्ती) सबके नाम महिलाओं के नामों पर हैं.
वेंकैया ने महिला सशक्तिकरण और महिलाओं को समान अवसर देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, ‘‘हम अपने देश को भी भारत माता या मदर इंडिया कहते हैं.’
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय समाज दूसरों के सामने काफी सहिष्णु रहा है. विचार और विविधता इस देश की सुंदरता रही है. हमारा संविधान एक हर किसी को अपने धर्म मानने की स्वतंत्रता देता है. साथ ही भले ही कोई किसी धर्म, जाति और संप्रदाय से हो सबको समानता का अधिकार की गारंटी देता है.
Bureau Report
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