पेइचिंग: चीन के एक विशेषज्ञ ने कहा कि चीन और रूस, अमेरिका को कड़े प्रतिबंध लगाकर उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की सरकार का तख्ता पलटने नहीं देंगे। इन प्रतिबंधों से उनके राष्ट्रीय हित प्रभावित होंगे और क्षेत्रीय कूटनीतिक संतुलन को खतरा पैदा होगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को अमेरिका द्वारा रखे गए एक प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया जिसमें उत्तर कोरिया पर अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लागू किए गए हैं।
चीन के सरकारी ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने लियाओनिंग अकैडमी ऑफ सोशल साइंसेज में कोरियन स्टडीज पर चीनी विशेषज्ञ लू चाओ के हवाले से कहा, ‘अमेरिका और उसके सहयोगी देश जापान तथा दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया को रोकना चाहते हैं और आर्थिक तथा सैन्य दबाव के जरिए उसकी सरकार को पलटना चाहते हैं लेकिन ऐसा नहीं होगा क्योंकि चीन और रूस इसे स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि इससे उनके राष्ट्रीय हित प्रभावित होंगे तथा क्षेत्रीय कूटनीतिक संतुलन को खतरा पैदा होगा।’
चीन-उत्तर कोरिया सीमा से मिली रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने किसी भी आशंका के लिए अपने सैनिकों को तैयार रखा है और यहां तक कि उसने विभिन्न परिदृश्यों को ध्यान में रखते हुए सैन्य अभ्यास भी किए हैं। उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षणों की आलोचना करने के बावजूद चीन उसे अपना करीबी सहयोगी मानता है। उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम परीक्षण के बाद उस पर लगाए गए ताजा प्रतिबंधों पर प्रतिक्रिया देते हुए लू ने कहा, ‘उत्तर कोरिया को तेल का निर्यात करीब 40 फीसदी तक गिरेगा जो उसकी ऊर्जा की आपूर्ति के लिए एक बड़ा झटका है।’
चीन के बैंकों ने उत्तर कोरिया के खातों और लेनदेन पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि चीन, उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र के ताजा प्रस्ताव को पूर्ण रूप से लागू करने का आह्वान कर रहा है लेकिन वह कोरियाई प्रायद्वीप में कभी भी युद्ध या अराजकता पैदा नहीं होने देगा।
Bureau Report
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