नईदिल्ली: फोर्ब्स ने करप्ट कंट्रीज की एक लिस्ट जारी की है, जिसमें इंडिया का नंबर पहला है। ग्लोबल सिविल सोसाइटी ऑर्गनाइजेशन ट्रांस्पेरेंसी इंटरनेशनल के आंकड़ों के आधार पर जारी की गई इस लिस्ट में इंडिया के बाद वियतनाम का नंबर है। फोर्ब्स के मुताबिक, इंडिया में घूस लेने की दर 69 फीसदी है।
टॉप 5 करप्ट कंट्रीज…
1) इंडिया
2) वियतनाम
3) थाईलैंड
4) पाकिस्तान
5) म्यांमार
2) वियतनाम
3) थाईलैंड
4) पाकिस्तान
5) म्यांमार
इंडिया में कहां, कितना करप्शन
फोर्ब्स में पब्लिश आर्टिकल के मुताबिक, “6 पब्लिक सर्विसेस जैसे स्कूल, हॉस्पिटल, आईडी डॉक्युमेंट, पुलिस और यूटिलिटी सर्विसेस में 50% से ज्यादा लोगों को घूस देनी पड़ती है।”
फोर्ब्स में पब्लिश आर्टिकल के मुताबिक, “6 पब्लिक सर्विसेस जैसे स्कूल, हॉस्पिटल, आईडी डॉक्युमेंट, पुलिस और यूटिलिटी सर्विसेस में 50% से ज्यादा लोगों को घूस देनी पड़ती है।”
डिपार्टमेंट | घूस की दर |
पुलिस | 54% |
स्कूल्स | 58% |
हेल्थकेयर | 59% |
मोदी पर कितना भरोसा
फोर्ब्स ने नरेंद्र मोदी के फाइट अगेंस्टर करप्शन अभियान की तारीफ की है। जिसमें कहा गया, “53 फीसदी लोग मानते हैं कि वो साफ ढंग से या बहुत बेहतर तरीके से काम कर रहे हैं, जिसकी वजह से लोग खुद को मजबूत महसूस कर रहे हैं। इसके अलावा 63 फीसदी लोग ये मानने लगे हैं कि आम आदमी भी अंतर पैदा कर सकता है।”
पहले कहां था इंडिया?
बर्लिन बेस्ड ट्रांस्पेरेंसी इंटरनेशनल की 2015 की करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में 168 करप्ट देशों की लिस्ट में इंडिया को 76h रैंक पर था। 2014 में 100 देशों की लिस्ट में इंडिया का नंबर 38वां था।
पाकिस्तान कितना करप्ट?
करप्ट देशों की लिस्ट में इंडिया के बाद वियतनाम का नंबर है और यहां घूस लेने की दर 65 फीसदी है। चौथे नंबर पर पाकिस्तान है और यहां घूस लेने की दर 40 फीसदी है।
करप्ट देशों की लिस्ट में इंडिया के बाद वियतनाम का नंबर है और यहां घूस लेने की दर 65 फीसदी है। चौथे नंबर पर पाकिस्तान है और यहां घूस लेने की दर 40 फीसदी है।
फोर्ब्स के मुताबिक, “इस देश में तीन चौथाई लोगों का मानना है कि ज्यादातर या फिर सभी पुलिसवाले करप्ट हैं। कोर्ट या पुलिस से जिन लोगों का वास्ता पड़ता है, उनमें 10 में से 7 लोगों को घूस देनी पड़ती है। ज्यादातर लोग मानते हैं की चीजें बदलेंगी, केवल एक तिहाई लोगों का मानना है कि आम आदमी फर्क पैदा कर सकता है।”
किस तरह से हुआ सर्वे?
ट्रांस्पेरेंसी इंटरनेशनल का ये सर्वे 18 महीने तक चला और इसमें 16 देशों के 20 हजार से ज्यादा लोगों से बातचीत की गई।
Bureau Report
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