नईदिल्ली: बच्चे के जन्म के बाद उसकी परवरिश में पिता की बराबर की भूमिका सुनिश्चित करने के एक गैर सरकारी विधेयक में सभी क्षेत्रों में काम करने वाले कामगारों के लिए तीन महीने तक के पितृत्व अवकाश का प्रस्ताव किया गया है. पितृत्व लाभ विधेयक-2017 पर संसद के अगले सत्र में विचार किया जा सकता है. इसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि संतान के जन्म की स्थिति में माता और पिता दोनों को समान फायदा मुहैया कराया जाए.
इस विधयेक के प्रस्तावक कांग्रेस सांसद राजीव सातव हैं. उनका कहना है कि बच्चे की परवरिश माता-पिता दोनों की संयुक्त जिम्मेदारी है और बच्चे की उचित देखभाल सुनिश्चित करने लिए दोनों को समय देना चाहिए. उन्होंने कहा कि विधेयक से निजी और गैर संगठित क्षेत्र में काम करने वाले 32 करोड़ से अधिक लोगों को फायदा होगा.
अभी, अखिल भारतीय और केंद्रीय सिविल सेवा नियमों के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 15 दिनों का पितृत्व अवकाश मिलता है. कई कॉरपारेट समूह भी अपने कर्मचारियों को पितृत्व अवकाश की सुविधा देते हैं.
अगर इस विधेयक को कानून की शक्ल मिल जाए तो इससे न सिर्फ पितृत्व अवकाश की मियाद बढ़ जाएगी, बल्कि सभी कामगार इस सुविधा के दायरे में आ जाएंगे. विधेयक में प्रस्ताव दिया गया है कि पितृत्व अवकाश की मियाद बच्चे के जन्म से तीन महीने के लिए होगी.
Bureau Report
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