नईदिल्ली: दिल्ली स्थित सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टिट्यूट (CRRI) के सर्वे में 10 में से 3 ड्राइवरों की दूर की नजर कमजोर पाई गई है। वहीं आधे ड्राइवरों की पास का नजर में दिक्कत है। इस सर्वे में 627 कार, टैक्सी, ट्रक और बस ड्राइवरों को शामिल किया गया। सर्वे से यह भी पता चला है कि 19 फीसदी ड्राइवरों को कलर ब्लाइंडनस है।
29 फीसदी ड्राइवरों ने यह भी माना है कि वे दिन में 10 घंटे से ज्यादा वाहन चलाते हैं जो कि गैरकानूनी है। दृष्टिदोष और कलर ब्लाइंडनस की वजह से रात में वाहन चलाना सुरक्षित नहीं रहता है। CRRI के इस सर्वे में 72 फीसदी कमर्शल ड्राइवर और निजी वाहन चलाने वाले लोगों का विजन टेस्ट कराया गया। कई जानकारियां सड़क पर ही पैदल चलने वालों, ट्रैफिक सिंबल्स आदि के जरिए जुटाई गईं। मोटर वीइकल ऐक्ट के मुताबिक लर्नर्स लाइसेंस नॉन ट्रांसपॉर्ट के लिए स्वयं को प्रमाणित करना होता है कि उसे नजरों की दिक्कत नहीं है वहीं ट्रांसपॉर्ट के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट देना होता है।
अगर कोई इसकी सही जानकारी नहीं देता है तो दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कई बार कहा कि किस तरह लाइसेंस के लिए लोग डॉक्टरों से सर्टिफिकेट खरीद लेते हैं। उन्होंने सरकारी अधिकारियों को सलाह भी दी कि वे अपने ड्राइवर्स की नजरों की जांच करानी चाहिए।
स्टडी में पाया गया है कि दोनों आंखों के कमजोर होने से 6 फीसदी ड्राइवर दुर्घटना का शिकार होते हैं वहीं एक आंख में दिक्कत वाले 3 प्रतिशत ड्राइवरों का ऐक्सिडेंट होता है। ट्रैफिक नियम तोड़ने वाले 15% ड्राइवरों ने माना उन्हें अकसर दुर्घटना का सामना करना पड़ता है।
Bureau Report
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