गौरतलब है कि तकरीबन डेढ़ महीने पहले जमात-उद-दावा के सियासी संगठन के रूप में मिल्ली मुस्लिम लीग का आगाज हुआ है. चूंकि अभी यह दल चुनाव आयोग में नामांकित नहीं हो सका है, लिहाजा इसके प्रत्याशी मोहम्मद याकूब ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा. चुनाव प्रचार के दौरान याकूब की रैलियों में सईद के पोस्टर भी दिखे थे. हालांकि बाद में चुनाव आयोग के सख्त रुख अपनाने के बाद उनको हटाना पड़ा. चुनाव आयोग ने कहा कि जिन लोगों पर आतंकवादी गतिविधियों पर शामिल होने का आरोप है, उनका चुनाव प्रचार में इस्तेमाल नहीं हो सकता. लिहाजा सईद के पोस्टरों को हटा दिया गया. दूसरी बात यह कि सईद जनवरी से खुद अपने घर में नजरबंद है.
इन सबके बावजूद यदि उसका समर्थित उम्मीदवार तीसरे नंबर पर आता है तो पाकिस्तान के मुख्य धारा के सियासी दलों के लिए खतरे के संकेत के साथ-साथ भारत समेत पूरी दुनिया का चिंतित होना लाजिमी है. इसका सीधा कारण यह है कि यदि इस तरह के आतंकी संगठन से जुड़े सियासी दल मजबूत होते जाएंगे और उनके पास लाखों वोट होंगे तो इससे पाकिस्तान की सत्ता के कट्टरपंथी हाथों में जाने की आशंका बढ़ेगी.
Bureau Report
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