चंडीगढ़: दो साध्वियों से रेप के मामले में 20 साल जेल की सजा काट रहा डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम शनिवार को हत्या के दो मामलों में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पंचकूला की विशेष सीबीआई कोर्ट में पेश हुआ। वह इस समय रोहतक जेल में बंद है। उस पर पत्रकार रामचंद्र छत्रपति और सेवादार रणजीत सिंह की हत्या में शामिल होने का आरोप है। शनिवार को दोनों की हत्या के मामले के बाकी सभी 7 आरोपी भी सीबीआई कोर्ट में पेश किए गए।
इस बीच, रणजीत और रामचन्द्र हत्याकांड में एक नया मोड़ आ गया है। राम रहीम के ड्राइवर खट्टा सिंह फिर से गवाही देने को तैयार हो गए हैं। उन्होंने अदालत में गवाही देने के लिए अपील भी की है। अदालत ने 22 सितंबर को अगली सुनवाई तय कर दी है। इसी दिन कोर्ट तय करेगा कि खट्टा सिंह गवाही दे सकेंगे या नहीं। खट्टा सिंह ने शनिवार को कहा, ‘मैं डर गया था कि कहीं वह मुझे और मेरे बेटे को मार न डालें।’ उन्होंने कहा, ‘हमें धमकी भी दी गई थी।’ गौरतलब है कि राम रहीम का ड्राइवर खट्टा सिंह 2012 में अपने बयान से पलट गया था।
शनिवार को मामले में सीबीआई के वकील एच पी एस वर्मा और बचाव पक्ष के वकील एस के गर्ग नरवाना के बीच बहस हुई। पत्रकार की हत्या के आरोप में निर्मल सिंह, कृष्ण लाल और कुलदीप की भी पेशी हुई, जबकि सेवादार रणजीत सिंह की हत्या के आरोप में कृष्ण लाल, अवतार सिंह, जसबीर, सबदिल और इन्द्रसेन को पेश किया गया। 25 अगस्त को पंचकूला में हुए दंगे से सबक लेते हुए इस बार सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। सीबीआई कोर्ट के आसपास भारी सुरक्षा बल तैनात थे। किसी को भी कोर्ट परिसर में जाने की अनुमति नहीं थी।
हत्या का पहला मामला
सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति अपने अखबार ‘पूरा सच’ में अक्सर डेरा सच्चा सौदा में हो रहे अन्याय और अत्याचार के बारे में लिख रहे थे। डेरा में यौन शोषण का खुलासा उनके ही अखबार ने सबसे पहले किया था। ‘पूरा सच’ अखबार ने एक गुमनाम पत्र छापा था जिसमें विस्तार से बताया गया था कि किस तरह से सिरसा स्थित डेरा मुख्यालय में महिलाओं का यौन उत्पीड़न होता था। इससे खलबली मच गई थी और सीधे तौर पर राम रहीम पर सवाल उठने लगे थे। इसके बाद अक्तूबर 2002 में उन्हें गोली मार दी गई।
दूसरा मामला
डेरा प्रबंध समिति के सदस्य रहे रणजीत सिंह की हत्या का मामला भी महिलाओं के यौन शोषण से संबंधित है। राम रहीम का करीबी होने के नाते रणजीत को उसके पूरे काले कारनामे के बारे में जानकारी थी। एक अज्ञात पत्र को प्रसारित करने में संदिग्ध भूमिका को लेकर उनकी हत्या कर दी गई थी। राम रहीम को शक था कि कहीं रणजीत सिंह एक साध्वी का पत्र तत्कालीन प्रधानमंत्री तक न पहुंचा दें। उनकी हत्या 10 जुलाई 2002 को हुई थी।
इन दोनों मामलों में गुरमीत राम रहीम को मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर सीबीआई ने नामजद किया है। दोनों पीड़ित परिवारों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था जिसके बाद पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने नवम्बर 2003 में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। हत्या मामले में सीबीआई ने 30 जुलाई 2007 को आरोपपत्र दायर किया था। हत्या के लिए उम्रकैद या मृत्युदंड का प्रावधान है। ऐसे में मामले में राम रहीम को लेकर कोर्ट का फैसला क्या आता है, इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
Bureau Report
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