नईदिल्ली: भारतीय वायु सेना के दिवंगत मार्शल अर्जन सिंह का दिल्ली के बरार स्क्वायर में अंतिम संस्कार कर दिया गया. अंतिम संस्कार के वक्त जमीन पर तोपों से सलामी दी जा रही थी तो आसमान में तिरंगे के साथ मंडराते हेलीकॉप्टर मानो कह रहे हों कि भारतीय एयरफोर्स आपके योगदान को सदैव याद रखेगा. इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित कई गणमान्य लोगों ने अर्जन सिंह को श्रद्धांजलि दी. उनके सम्मान में सरकारी इमारतों पर लगे राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया गया है. देश के वीर सपूत के शव को सेना की सजी हुई गाड़ी में लाया गया. अंतिम संस्कार के दौरान वायुसेना के विमानों के साथ बंदूकों की सलामी दी गई. पार्थिव शरीर को एयर फोर्स के 8 जवान उन्हें लेकर आए. एयरफोर्स के सीनियर रैंक के विंग कमांडर उन्हें सलामी दी. इसके पहले रविवार को उनके आवास पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण समेत तमाम गणमान्य लोग पहुंचे थे. 98 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उनका शनिवार को निधन हो गया था.
पीएम ने दी श्रद्धांजलि
अपनी एक दिवसीय गुजरात यात्रा से लौटने के बाद मोदी सीधा राष्ट्रीय राजधानी में सिंह के आवास पर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी. मोदी ने सिंह के आवास पर संवेदना पुस्तिका में गुजराती में लिखा, ‘बहादुर सैनिक को मेरी श्रद्धांजलि जिनमें योद्धा का शौर्य और शिष्टाचार था. उनका जीवन भारत माता को समर्पित था.’
राष्ट्रपति ने दी सिंह को श्रद्धांजलि
इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 7, कौटिल्य मार्ग स्थित सिंह के आवास पर पहुंचे. राष्ट्रपति सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर भी हैं. तीनों सेनाओं के प्रमुख- एयर चीफ मार्शल बिरेन्द्र सिंह धनोआ, नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लाम्बा और थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के साथ आवास एवं शहरी विकास राज्य मंत्री हरदीप पुरी भी वहां मौजूद थे.
श्रद्धांजलि देने पहुंचे अन्य गणमान्य लोगों में केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली, विदेश राज्य मंत्री और पूर्व थलसेना प्रमुख वी के सिंह, पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी और कांग्रेस नेता कर्ण सिंह भी शामिल थे. एस पी त्यागी, एन सी सूरी और ए वाई टिपनिस जैसे पूर्व वायुसेना अध्यक्षों के साथ ही कई अन्य सम्मानित अधिकारियों ने भी अर्जन सिंह को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने 1965 के युद्ध में उनके तहत काम किया था.
थलसेना प्रमुख जनरल रावत ने फाइव स्टार रैंक वाले अधिकारी को लीजेंड बताया जिन्होंने आगे बढ़कर नेतृत्व किया और जो परोपकारी थे. उन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान वायुसेना प्रमुख के रूप में उनके योगदान का भी जिक्र किया. वायुसेना प्रमुख धनोआ ने संवाददाताओं से कहा कि यह श्रेय उन्हीं को है कि शुरूआती झटकों के बाद भी हम दुश्मन को परास्त करने में सफल रहे और जम्मू कश्मीर को अलग करने के उनके इरादों को नाकाम कर दिया.
Bureau Report
Leave a Reply