जयपुर : राजस्थान के बांसबाड़ा स्थित महात्मा गांधी चिकित्सालय में 81 नवजात बच्चों की मौत पिछले 51 दिनों में हो गई है. हालांकि मामले की जांच की जा रही. बाल चिकितस्कों का कहना है कि इन बच्चों की कुपोषण की वजह से हुई है. बता दें कि बच्चों से जुड़ी चिंतानजनक देश के दूसरे राज्यों से भी आ रही हैं.
देश के दूसरे हिस्सों से भी आ रही है चिंताजनक खबरें
उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कालेज में बुधवार को 13 और बच्चों की मौत हो गई. सके साथ ही इस माहिने मरने वाले बच्चों का आंकड़ा बढ़कर 309 हो गया. इस साल अभी तक 1269 बच्चे इस मेडिकल कालेज में मर चुके हैं. मेडिकल कालेज के नवनियुक्त प्राचार्य डा पीके सिंह ने बच्चों की मृत्यु की पुष्टि करते हुए कहा, ‘गत 30 अगस्त की मध्य रात्रि तक 59 बच्चे मेडिकल कालेज में भर्ती थे जिनमें से 13 की मौत हो गयी है, इस समय अस्पताल में 354 बच्चों का इलाज चल रहा है.’ इस साल के प्रत्येक महीने में बच्चों की मौत का आंकड़ा देते हुये सिंह ने बताया कि जनवरी में 152, फरवरी में 122, मार्च में 159, अप्रैल में 123, मई में 139, जून में 137 और जुलाई में 128 बच्चों की मौत हुई है. प्राचार्य ने बताया कि मेडिकल कालेज में भर्ती होने वाले बच्चो में अधिकतर समय पूर्व प्रसव, कम वजन, पीलिया, न्यूमोनिया, संक्रामक रोग और इंसेफलाइटिस से पीड़ित होते है. इनमें से ज्यादातर बच्चे गंभीर हालत होने पर यहां लाये जाते है.
झारखंड में 800 बच्चों की मौत
गोरखपुर में अब झारखंड से भी ऐसा ही दिल दहला देने वाली खबर सामने आ रही है. झारखंड के दो अस्पतालों में इस साल अब तक 800 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई और इसमें से ज्यादातर मौतें इंसेफलाइटिस के कारण हुई हैं. राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) के निदेशक बीएल शेरवाल ने कहा कि रिम्स में इस साल अब तक 660 बच्चों की मौत हुई है. जमशेदपुर के महात्मा गांधी मेमोरियल अस्पताल में बीते चार महीनों में 164 मौतें होने की खबर है. रिम्स के निदेशक डॉ. बीएल शेरवाल ने कहा कि इस साल 4,855 बच्चे भर्ती किए गए और 4,195 को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई. 660 बच्चों को बचाया नहीं जा सका. हमने 86.40 फीसदी बच्चों का इलाज कर उन्हें रोगमुक्त किया. उन्होंने कहा कि अगस्त में 103 मौतें हुई हैं.रिम्स के सूत्रों ने कहा कि 51 फीसदी बच्चों की मौत इंसेफलाइटिस से, 17 फीसदी की निमोनिया से व बाकी की दूसरे कारणों से हुई जिनमें मलेरिया, सांप का कांटना, सांस की समस्या व कम वजन शामिल हैं. सूत्रों ने कहा बीते साल रिम्स में 1,118 बच्चों की मौत हुई थी.
Bureau Report
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