मीना/सऊदीअरब: दुनिया के ज्यादातर देशों में मुसलमान आज ईद अल-अजहा मना रहे हैं जबकि विभिन्न देशों से आए 20 लाख से ज्यादा हजयात्री हज के आखिरी रुसूम अदा कर रहे हैं. सुबह पौ फटने के बाद लाखों की तादाद में हजयात्री आज मीना के विशाल बहुमंजिली परिसर में पहुंचे जहां उन्हें शैतान के प्रतीक बने तीन विशाल खंभों पर कंकरियां फेंकनी है. मुसलमानों का मानना है कि यही वह जगह है जहां शैतान ने अल्लाह के हुक्म नहीं मानने और अपने बेटे हजरत इस्माईल की कुर्बानी देने से इनकार करने के लिए पैगंबर इब्राहीम को बहकाने की कोशिश की थी. शैतान ने हजरत इब्राहीम से बात करने की कोशिश की थी लेकिन वह अपनी साजिश में नाकाम रहा था.
मुसलमानों का मानना है कि अल्लाह ने हजरत इब्राहीम के ईमान का इम्तिहान लिया था और उन्हें अपने इकलौते बेटे हजरत इस्माईल की कुर्बानी देने को कहा था. हजरत इब्राहीम अल्लाह के हुक्म बजा लाने के लिए तैयार थे, लेकिन अल्लाह ने एक दुंबा भेज दिया और इस तरह हजरत इस्माईल जिंदा रहे.
ईसाई और यहूदी मानते हैं कि अब्राहम (कुरान के मुताबिक हजरत इब्राहीम) को अपने बेटे आइजक (कुरान के मुताबिक हजरत इसहाक) की कुर्बानी देने का हुक्म हुआ था. हज का आखिरी दिन ईद अल-अजहा मनाया जाता है जो ‘कुर्बानी का जश्न’ है और इसे हजरत इब्राहीम के ईमान के इम्तिहान की याद में मनाया जाता है.
इसी याद में मुसलमान बकरे या और दूसरे जानवरों की कुर्बानी करते हैं. इन जानवरों का गोश्त गरीबों में बांटते हैं. हाजियों के हज के आखिरी तीन दिन मीना में गुजरते हैं जो खेमों के एक विशाल शहर में तब्दील हो जाता है.
Bureau Report
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