शिमला: हिमाचल प्रदेश के हो रहे चुनाव में सीधा मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है. कांग्रेस ने एक बार जहां फिर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को अपना चेहरा बनाया है, वहीं बीजेपी ने दिग्गज नेता प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया है. पिछले कई वर्षों से सियासत की धुरी भी इन्हीं दिग्गजों नेताओं के इर्द-गिर्द घूमती रही है. इस बार नौ नवंबर को हो रहे मतदान में एक खास बात देखने को यह मिलेगी कि मुख्यमंत्री पद के ये दोनों ही चेहरे खुद के लिए वोट नहीं डाल सकेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री धूमल दोनों ही अपने गृह क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. पहली बार इन दोनों ही नेताओं ने अपनी सीटें बदली हैं.
वीरभद्र अभी तक शिमला ग्रामीण से चुनाव लड़ते रहे हैं लेकिन पहली बार वह सोलन जिले की अरकी से मैदान में हैं. वहीं धूमल, सुजानपुर से चुनाव लड़ रहे हैं जबकि उनका गृह क्षेत्र समीरपुर विधानसभा क्षेत्र के भोरंज के तहत आता है.
मतदान
हिमाचल प्रदेश के 68 विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव के लिए नौ नवंबर को मतदान हो रहा है. इसमें 62 विधायकों समेत कुल 337 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं. इस चुनाव में कुल 50,25,941 मतदाता मतदान के योग्य हैं. राज्य में 7,525 मतदान केंद्र बनाए गए हैं और चुनाव ड्यूटी के लिए कुल 37,605 मतदानकर्मियों को तैनात किया गया है. सुरक्षा के लिए पुलिस और होमगार्ड के 17,850 कर्मियों के अलावा केंद्रीय अर्द्धसैन्य बल की 65 कंपनियां तैनात की गई हैं.
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सत्तारूढ़ कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री धूमल की अगुवाई में भाजपा सभी 68 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं . बसपा 42 सीट पर, इसके बाद माकपा 14 सीट पर, स्वाभिमान पार्टी और लोक गठबंधन पार्टी छह-छह सीटों पर और भाकपा तीन सीटों पर मैदान में है.
झंडुता एकमात्र ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है जहां सीधा मुकाबला है. वहीं धर्मशाला में सबसे ज्यादा 12 उम्मीदवार मैदान में हैं. भाजपा ने पूर्व मंत्री अनिल शर्मा सहित चार पूर्व कांग्रेसियों को तथा चौपाल से एक निर्दलीय को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस ने पोंटा साहिब और कांगड़ा से दो निर्दलीय को उतारा है.
Bureau Report
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