शिमला: हिमाचल प्रदेश में 68 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हो रहा है. मतदान को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. ऊंचाई वाले इलाकों में सर्दी के बाद भी मतदान केंद्रों के बाहर लोगों की लाइन लगी हुई हैं. महिलाएं तथा बुजुर्ग लोकतंत्र के इस महापर्व में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं. इन चुनावों में 62 विधायकों सहित 337 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. भाजपा से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल ने अपने परिवार के साथ हमीरपुर में वोट डाला. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को 50 से अधिक सीटें मिलेंगी. उधर, शिमला में कांग्रेस की तरफ से दावेदार वीरभ्रद सिंह ने अपने मतदान का इस्तेमाल किया. उन्होंने दावा कि प्रदेश की जनता कांग्रेस के कामकाज से खुश है, इसलिए उन्हें जनता का पूरा समर्थन मिल रहा है.
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, 10 मंत्री, आठ मुख्य संसदीय सचिव, विधानसभा के उपाध्यक्ष जगत सिंह नेगी, पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और एक दर्जन से ज्यादा पूर्व मंत्री समेत अन्य चुनावी मुकाबले में हैं. हिमाचल का चुनाव स्थानीय राजनीति के साथ-साथ केंद्र की राजनीति पर भी असर डालेगा. कल ही 8 नंवबर को केंद्र सरकार ने नोटबंदी के एक साल पूरे किए थे. उधर, कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने समूचे देश में इसे काले दिन के रूप में मनाया था. विरोधियों की अपील मतदाताओं पर कितना असर डालेगी ये ठीक 40 दिन बाद मतगणना के दौरान ही पता चलेगा. हां, इतना जरूर है कि भाजपा हो या कांग्रेस या फिर अन्य कोई भी दल चुनाव प्रचार में सभी ने अपनी पूरी ताकत लगा दी. दिन-रात एक करते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी ओर जोड़ने की कोशिश की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मतदान को लोकतंत्र का महापर्व बताते हुए लोगों से बड़ी संख्या में इसमें भाग लेने की अपील की है.
उधर, मतदान के दौरान किसी भी अप्रिय घटना ना हो, इसके लिए पूरे राज्य में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. मतदान केंद्रों पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं. करीब 12,000 हिमाचल प्रदेश पुलिस, 6500 होमगार्ड्स तथा अर्द्धसैन्य बलों की 65 कंपनियां तैनात की गई हैं.
VVPAT का हो रहा है इस्तेमाल: देवभूमि में हो रहे चुनावों की खास बात ये है कि इस बार पूरे प्रदेश में मतदान के लिए वीवीपैट यानी पर्ची वाली मशीनों का इस्तेमाल हो रहा है. इस मशीन द्वारा वोट डालने पर एक पर्ची निकलती है जिससे मतदाता यह जान सकते हैं कि जो वोट उन्होंने डाला है वह सही उम्मीदवार को गया है या नहीं. हां, वीवीपैट मशीन में वोट डालने पर ईवीएम के मुकाबले कुछ ज्यादा समय लगता है, क्योंकि इसमें पर्ची भी निकलती है. उत्तर प्रदेश में हुए चुनावों में कुछ दलों ने केंद्र सरकार पर ईवीएम मशीन में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया था.
Bureau Report
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