मोबाइल फोन के रेडिएशन से बचने के लिए पर्यावरण मंत्री की अनोखी पहल

मोबाइल फोन के रेडिएशन से बचने के लिए पर्यावरण मंत्री की अनोखी पहलनईदिल्ली: मोबाइल फोन भले ही हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया हो, लेकिन इससे होने वाले नुकसान के बारे में सभी जानते हैं. मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडिएशन सेहत के लिए बहुत खतरनाक होती है. विशेषज्ञ मोबाइल फोन का कम से कम इस्तेमाल करने की सलाह भी देते हैं. लेकिन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस समस्या का समाधान खोज लिया है. इतना ही नहीं वे इस नए अविष्कार को लेकर शुक्रवार को संसद भवन भी आए.

शुक्रवार को शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर सदन में एक अनोखा फोन लेकर आए. इस फोन को देखकर सभी की उत्सुक हो गए कि आखिर ये है क्या चीज. इस पर मंत्री ने बताया कि इस फोन के इस्तेमाल से रेडिएशन का खतरा बहुत कम हो जाता है. 
दरअसल, जावड़ेकर अपने हाथों में एक मोबाइल फोन थामे हुए थे. उस फोन में लैंडलाइन फोन का रिसीवर (चोंगा) लगा हुआ था. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2011 में एक रिपोर्ट में कहा था कि मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल से कैंसर होने की संभावना रहती है. कुछ अध्ययनों से पता चला है कि मोबाइल फोन के रेडिएशन कई तरह से शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं. रेडिएशन सीधे डीएनए पर भी असर करता है. खासकर नवजात शिशु को इससे कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. शोध बताते हैं कि इससे आंख का कैंसर, थायराइड, मेलेनोमा ल्यूकेमिया और स्तन कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं.

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार और मोबाइल टॉवर कंपनियों को नोटिस जारी कर इससे होने वाले नुकसान के बारे में रिपोर्ट मांगी थी. इस बारे में समाजसेवी नरेश चंद गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि मोबाइल टावर और फ़ोन से निकलने वाला रेडिएशन लोगों और जानवरों के लिए ख़तरनाक है. इससे सिरदर्द, अनिद्रा के अलावा ब्रेन ट्यूमर तक होने का ख़तरा रहता है. वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल कर दावा किया था कि मोबाइल टावर से होने वाले रेडिएशन से ख़तरनाक बीमारियां होती हैं. याचिका में दुनियाभर में हुए शोध का हवाला देते हुए कहा गया है कि मोबाइल टावरों से होने वाले रेडिएशन से कैंसर, अलजाइमर और ल्यूकेमिया जैसी ख़तरनाक बीमारियां हो सकती हैं.

Bureau Report

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