नईदिल्ली: पाकिस्तान में जी न्यूज के अंतरराष्ट्रीय चैनल WION के ब्यूरो चीफ ताहा सिद्दीकी को अगवा करने की कोशिश की गई है. ताहा ने दूसरे पत्रकार के ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर इस बाबत जानकारी दी. जब ताहा एयरपोर्ट की तरफ जा रहे थे तब करीब 10 से 12 लोगों ने उनका अपहरण करने की कोशिश की. हाल ही में ताहा ने कुलभूषण जाधव से पाकिस्तान से मिलने गईं उनकी पत्नी और मां से पाकिस्तानी मीडिया के बुरे बर्ताव पर रिपोर्टिंग की थी.
इस ताजा घटना के बाद से पाकिस्तान में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं. तहा इससे पहले ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ और ‘द गार्डियन’ और ‘फ्रांस24’ जैसे इंटरनेशनल मीडिया संस्थानों के लिए भी काम कर चुके हैं.
ताहा द्वारा किया गया ट्ववीट…
उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैं ताहा सिद्दीकी Cyrils का ट्विटर अकाउंट यूज करते हुए आपसे कह कहना चाहता हूं कि जब मैं सुबह करीब 8.20 बजे एयरपोर्ट की ओर जा रहा था, तब 10 से 12 हथियारबंद लोगों ने मेरी कैब रोककर मुझे जबरन मुझे अगवा करने की कोशिश की. मैं भागने में कामयाब रहा. अब सुरक्षित और पुलिस के साथ हूं. आपसे अनुरोध है कि यथासंभव मेरी मदद करने की कोशिश करें #StopEnforcedDisappearance.’
हाल ही में ताहा ने पाकिस्तान में कुलभूषण जाधव से मिलने गईं उनकी पत्नी और मां से पाकिस्तानी मीडिया के बुरे बर्ताव पर रिपोर्टिंग की थी और इस पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए एक लेख भी लिखा था. नीचे पढ़ेंं पूरा लेख…
पाकिस्तान की सरकार ने जब यह घोषणा की थी कि वह कुलभूषण जाधव के परिवार को उनसे मिलने की इजाजत देगी तो लगा कि लंबे वक्त के बाद दोनों देशों के रिश्ते एक सकारात्मक दिशा में बढ़ेंगे. लेकिन यह उम्मीदें 25 दिसंबर को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में कुलभूषण जाधव की उनकी पत्नी और मां से मुलाकात के बाद खत्म हो गईं. भारत के विदेश मंत्रालय ने जाधव की मां और पत्नी के साथ पाकिस्तान में हुए बर्ताव की आलोचना की. वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को खारिज किया. राजनायिक विवाद अब कुलभूष यादव की पत्नी की जूतियों पर केंद्रित हो गया है जिनके बारे में पाकिस्तानी अधिकारियों का दावा है कि इन जूतों में धातु जैसा कुछ छिपाया गया था. इन जूतों को अब लैब में टेस्टिंग के लिए भेज दिया गया है.
एक भारतीय न्यूज संस्थान के पाकिस्तानी पत्रकार के तौर पर मैंने इस घटनाक्रम को करीब से कवर किया और ज्यादातर घटनाएं कुछ वैसी ही घटी जैसी मैं देखता आया हूं. लेकिन इस बार मेरे साथी पत्रकारों के व्यवहार ने मुझे हैरान कर दिया. हमारे पेशे में सवाल पूछना जरूरी समझा जाता है लेकिन उस दिन पत्रकार कुलभूषण यादव की पत्नी और मां से सवाल नहीं पूछ रहे थे बल्कि उन पर आरोप मढ़ रहे थे. जाधव से शायद आखिरी बार मिलने पहुंची उनकी पत्नी और मां के सामने पत्रकार चिल्ला रहे थे, नारेबाजी कर रहे थे. एक रिपोर्टर ने जाधव की मां से पूछा कि वह एक आतंकी की मां होने पर कैसा महसूस करती हैं. दूसरे पत्रकार ने जाधव की पत्नी पर सवाल दागा कि क्या वह अपने पति को सपोर्ट करती हैं जो कि सैकड़ों पाकिस्तानियों का हत्यारा है.
विदेश मंत्रालय ने यह सुनिश्चित किया था कि पत्रकार दोनों महिलाओं से उचित दूरी पर रहें. हम सभी एक निश्चित दूरी पर खड़े थे लेकिन मैंने एक सरकारी अधिकारी को कहते हुए सुना की वह कुछ पत्रकारों को जाधव के परिवार से बात करने का मौका देंगे. और इसमें कोई हैरानी की बात नहीं थी कि जब जाधव का परिवार बिल्डिंग से बाहर आता है तो पत्रकारों के पास उन पर तंज कसने के लिए काफी समय था. जाधव की मां और पत्नी जिस कार में थी उसे आता देख एक पत्रकार ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए इसके बाद दूसरे पत्रकारों ने भी नारेबाजी की.
हालांकि यह सबकुछ दस मिनट के भीतर ही हुआ लेकिन इसने मुझे हिलाकर रख दिया. मुझे ऐसा भी लगा कि उस वक्त मैं अकेला ही था जो यह सोच रहा था कि यह सब गलत हुआ. मैंने अपने साथी पत्रकारों की आलोचना करते हुए एक ट्वीट किया. यह ट्वीट मैंने अपने भारतीय साथियों को यही बताने के लिए किया था कि पत्रकारों की उस भीड़ में मेरे जैसा पत्रकार भी था जिसने अपने साथियों के इस व्यवहार की आलोचना की थी.
Bureau Report
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