नईदिल्ली: आगामी 1 फरवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली बजट पेश करेंगे. देशभर की नजरें उनकी ओर लगी हैं कि वे कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि सेक्टर को किस तरह का बजट आवंटित करते हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि देश के सबसे पहले बजट में किस सेक्टर को सबसे ज्यादा पैसा आवंटित किया गया. भारत की आजादी के बाद पहला बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री आर. के. षणमुखम चेट्टी ने अपने बजट का लगभग आधा हिस्सा विकास कार्य या कृषि के मद में नहीं रखा था. बल्कि बजट की आधी से ज्यादा रकम रक्षा मंत्रालय को दे दी थी. है न चौंका देने वाली बात. आपको बता दें कि वित्त मंत्री आर. के. षणमुखम चेट्टी ने देश का पहला बजट करीब 197.39 करोड़ रुपयों का पेश किया था. इसमें से करीब 46 प्रतिशत यानी 92.74 करोड़ रुपए रक्षा मंत्रालय के लिए दिए गए थे. बजट से जुड़े कुछ और ऐसे ही रोचक किस्सों के बारे में आइए जानते हैं…
कुंआरे और शादीशुदा लोगों के लिए अलग टैक्स
सरकार लोगों से टैक्स लेती है, ताकि देश में विकास कार्यों को अमली-जामा पहनाया जा सके. लेकिन क्या कभी टैक्स लेने में भेदभाव भी किया जाता है? आपका जवाब होगा नहीं. लेकिन हम आपको बताएं कि देश में एक बार ऐसा भी बजट लाया गया जो कुंवारे और शादीशुदा लोगों के बीच अलग-अलग टैक्स व्यवस्था का हिमायती था. दरअसल, वित्तीय वर्ष 1955-56 के लिए पेश किए गए बजट में तत्कालीन सरकार ने ऐसी व्यवस्था की थी. इसमें परिवार की व्यवस्थाओं को देखते हुए विवाहित और अविवाहित लोगों के लिए अलग-अलग टैक्स स्लैब निर्धारण की योजना पेश की गई थी.
उद्योगों को लोन देने की व्यवस्था
सरकार देश में उद्योग लगाती है. इससे एक तरफ जहां विकास होता है, वहीं दूसरी ओर रोजगार को बढ़ावा मिलता है. उद्योग लगाने के लिए सरकार कारोबारियों को सहयोग देती है. इसमें आर्थिक संसाधन मुहैया कराने, जमीन दिलवाने जैसे कई काम होते हैं. सरकार के ये तमाम काम उसकी विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से पूरे किए जाते हैं. अब चूंकि सरकार के पास करने को कई और काम भी होते हैं, तो जाहिर है कि उद्योगों को आर्थिक मदद करने के लिए भी उसने एजेंसी बना रखी है. इसकी व्यवस्था करने का काम भी बजट के जरिए ही होता है. भारत सरकार ने यह व्यवस्था 1950 के दशक में ही कर ली थी. वर्ष 1954-55 के बजट में सरकार ने एक ऐसे वित्तीय संस्थान की स्थापना की जो सिर्फ उद्योगों को लोन दिलाने के लिए ही बनी थी. जी हां, इसका नाम था आईसीआईसीआई यानी इंडस्ट्रियल क्रेडिट एंड इंवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया.
बजट की सीक्रेसी के पीछे इनकी थी चूक
बजट को सीक्रेट रखा जाता है. इसे प्रिंट करने वालों को कई दिनों तक घर-परिवार से दूर रखा जाता है. ऐसी कई बातें आपने पढ़ी होंगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बजट लीक न हो, इसके प्रति पहले ज्यादा सतर्कता नहीं बरती जाती थी. 1947 में ब्रिटेन के वित्त मंत्री एडवर्ड ह्यूग डेल्टन ने अंजाने में एक पत्रकार को बजट की कुछ जानकारी दे दी, जिसे उसने शाम के अखबार में छाप दिया. दरअसल, डेल्टन ने पत्रकार को टैक्स में बदलावों की जानकारी दे दी थी. इस खबर के अखबार में छपने से हंगामा हो गया. नतीजतन डेल्टन को इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद से ही बजट की गोपनीयता का खास ध्यान रखा जाने लगा.
Bureau Report
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