नईदिल्ली: पीडीपी विधायक एजाज अहमद मीर ने आतंकवादियों की मौत को लेकर एक विवादित बयान दिया है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, ”हमें आतंकियों की हत्याओं का जश्न नहीं मनाना चाहिए, यह हमारी सामूहिक विफलता है.” उन्होंने आगे कहा- सुरक्षा बलों के शहीद होने पर भी हम दुखी होते हैं. हमें सुरक्षा बलों के माता-पिता के साथ ही आतंकवादियों के अभिभावकों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए.
विधायक ने आगे कहा, कश्मीर में मारे गए आतंकी शहीद हैं. वे हमारे भाई हैं. उनमें से कुछ नाबालिग हैं, जो ये भी नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं.
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में सेना आतंकियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है. जिसमें कई आतंकी मारे जा चुके हैं.
2017 में ढेर हुए 200 से ज्यादा आतंकवादी
नवंबर 2017 में आतंकवादियों की मौत से संबंधित आंकड़े सामने आए थे. पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एस पी वैद्य ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी. जिसमें उन्होंने बताया था कि, ‘जम्मू कश्मीर पुलिस, भारतीय सेना, सीआरपीएफइंडिया, सीएपीएफ और कश्मीर के लोगों के सामूहिक प्रयासों से वर्ष 2017 में 200 से अधिक आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया.’
वर्ष 2010 में 270 आतंकवादी मारे गये थे. हालांकि वर्ष 2015 के अंत तक यह संख्या प्रतिवर्ष लगभग 100 तक गिर गई थी. साल 2016 में नियंत्रण रेखा (एलओसी) और आंतरिक इलाकों में सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 165 आतंकवादी मारे गये थे.
नागरिकों के मरने की संख्या बढ़ी
आतंकवाद से संबंधित हिंसा की घटनाओं में नागरिकों के मारे जाने की संख्या बढ़ी है और साल 2017 में ऐसी घटनाओं में 54 नागरिक मारे गये हैं. 2016 में यह संख्या 14 थी. 2017 में आतंकवादी घटनाओं में शहीद हुए सुरक्षाकर्मियों की संख्या 77 थी. साल 2016 में यह संख्या 88 थी.
नागरिकों की हत्या के मुद्दे पर विपक्ष का वॉकआउट
कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघनों और नागरिकों की हत्या को रोकने में सरकार को नाकाम बताते हुए विपक्षी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने आज जम्मू-कश्मीर विधान परिषद् से बुधवार को वॉकआउट किया.
विपक्ष के कुछ सदस्य परिषद् में आसन के समीप गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हुई. राज्य के उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होते ही गुलाम नबी मोंगा और सज्जाद किचलू के नेतृत्व में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के सदस्य खड़े हो गए और “बेकसूरों” की हत्याएं रोक पाने में कथित नाकामी को लेकर पीडीपी-भाजपा की गठबंधन सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
गौरतलब है कि सुरक्षा बलों द्वारा मंगलवार 9 जनवरी को कथित तौर पर चलाई गई गोली में 20 वर्षीय युवक की मौत हो गई थी. मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी खालिद हुसैन दार की हत्या पर काफी गुस्सा जाहिर किया था और जिला प्रशासन को घटना के पीछे के कारणों की जांच करने का निर्देश दिया था.
Bureau Report
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