नईदिल्ली: अजमेर लोकसभा उपचुनाव में अब तक आए रिझानों में बीजेपी के राम स्वरूप लांबा कांग्रेस के प्रत्याशी रघु शर्मा से चुनाव हारते दिख रहे हैं. ऐसे में चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर सत्ता में होने के बावजूद बीजेपी प्रत्याशी क्यों हारते हुए दिख रहे हैं. आमतौर पर उपचुनावों में सत्ताधारी दलों के प्रत्याशी की जीत होती है, जबकि राजस्थान में हालात उलट हैं. इस चुनाव परिणाम के मायने इसलिए भी निकाले जा रहे हैं क्योंकि राजस्थान में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और करीब एक साल बाद बीजेपी को लोकसभा चुनाव में भी जाना है. कांग्रेस के नजरिए से देखें तो देशभर में लगातार हार झेल रही इस पार्टी के लिए उपचुनाव के परिणाम संजीवनी साबित हो सकते हैं. आइए जानें कौन सी वह 5 वजह है जिसके चलते अजमेर लोकसभा सीट पर कांग्रेस की जीत और बीजेपी की हार होती दिख रही है.
1. अयोग्य प्रत्याशी: अजमेर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने राम स्वरूप लांबा को प्रत्याशी बनाया था. राम स्वरूप पूर्व मंत्री सांवरलाल जाट के बेटे हैं. सांवरलाल जाट ने अजमेर में बड़ी आबादी वाले जाट समुदाय को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई थी. वे जाट समाज के कद्दावर नेता माने जाते थे. वहीं अजमेर के लोगों के बीच राम स्वरूप की छवि अयोग्य की है. राम स्वरूप जब राजनीति में आए तो लोग उनमें सांवरलाल की छवि तलाशने लगे, लेकिन पिता की जगह भरने में अयोग्य साबित हुए. रामस्वरूप जनता के बीच का नेता नहीं माने जाते हैं. इनकी छवि एसी गाड़ियों में घुमने वाले नेता की है. वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी रघु शर्मा की छवि जननेता की है. रघु शर्मा क्षेत्र के सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं. वे यहां से विधायक भी रह चुके हैं, जिसके चलते उनकी यहां के लोगों के बीच अच्छी पकड़ है.
2. राजपूत समाज ने खुलकर किया रघु शर्मा का समर्थन: अजमेर सीट पर रावण राजपूत समाज के लोग निर्णायक भूमिका में हैं. कई मुद्दों पर वसुंधरा सरकार से नाराजगी के चलते उपचुनाव प्रचार के दौरान राजपूत समाज के कई बड़े नेताओं ने अजमेर में जातीय सभा करके रघु शर्मा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया था.
3. आनंदपाल सिंह के समर्थकों का कांग्रेस को समर्थन: गैंगस्टर आनंदपाल सिंह अजमेर का ही रहने वाला था. एनकाउंटर में उसकी हत्या के बाद से अजमेर के लोग काफी नाराज हैं. काफी मिन्नतों के बाद भी वसुंधरा सरकार ने आनंदपाल एनकाउंटर पर कोई कदम नहीं उठाया है. इस बात से नाराज आनंदपाल सिंह के परिवार वालों ने उपचुनाव प्रचार के दौरान सार्वजनिक रूप से रघु शर्मा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया था.
4. सचिन पायलट ने जाट वोटों को किया एकजुट: राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट साल 2014 में अजमेर लोकसभा सीट से चुनाव हार गए थे. हालांकि उन्हें जाटों का काफी वोट मिला था. सचिन पायलट इस बार के विधानसभा चुनाव में भी जाट वोटों को एकजुट रखने में सफल रहे. इसका सीधा फायदा कांग्रेस के रघु शर्मा को मिला.
5. फिल्म ‘पद्मावत’ पर BJP के रवैए से राजपूतों में नाराजगी: राजपूत समाज के लोगों ने फिल्म ‘पद्मावत’ का विरोध किया था. राजपूत समाज के लोग बीजेपी के पारंपरिक वोटर माने जाते हैं, लेकिन इस समाज के लोगों की लाख कोशिश के बाद भी वसुंधरा राजे सरकार ने इस फिल्म पर पाबंदी लगाने से मना कर दिया. पूरे चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस जोर शोर से कहती रही कि बीजेपी के केंद्र में होने के बाद भी सेंसर बोर्ड ने फिल्म पद्मावत को पास कर दिया. साथ ही कांग्रेस प्रचार के दौरान कहती दिखी की बीजेपी गैर राजपूतों को तवज्जो नहीं दे रही है.
Bureau Report
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