नईदिल्ली: अमेरिका ने दुनिया का सबसे ताकतवर रॉकेट लॉन्च कर दिया है. इस रॉकेट को प्राइवेट स्पेस कंपनी स्पेसएक्स (SPACEX) ने तैयार किया है. इसे भारतीय समय के मुताबिक रात 12 बजे लॉन्च किया जाना था, लेकिन आखिरी वक्त में इसकी लॉन्चिंग कुछ आगे बढ़ा दी गई और इसे 2:25 बजे लॉन्च किया जा सका. परीक्षण सफल होने पर इसी रॉकेट की मदद से इंसानों को चंद्रमा और मंगल ग्रह तक पर भेजा जा सकेगा. इसकी स्पीड इतनी ज्यादा होगी कि इसे उड़ान भरते देखने में आंखें चौंधिया जाएगी. परीक्षण के दौरान इसमें फ्यूचर का स्पेस सूट पहनाकर एक पुतला रखा गया है. साथ ही SPACEX कंपनी के मालिक एलन मस्क की चेरी रेड कलर की टेस्ला कार को भी लोड किया गया है.
दो स्पेस शटल के बराबर है इस रॉकेट का वजन
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (NASA) नासा ने अपनी वेबसाइट पर इस रॉकेट के निर्माण प्रक्रिया का वीडियो डाला है. नासा के मुताबिक इस रॉकेट को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से भारतीय समय के मुताबिक देर रात 12:00 लांच किया जाएगा. साथ ही इसके फीचर का तुलनात्मक विवरण कर इसे दुनिया का सबसे ताकतवर रॉकेट बताया है. इस रॉकेट में पहली स्टेज में 3 फॉल्कन 9 और बीच में 27 मर्लिन 1D इंजन लगाए गए हैं. इसकी लंबाई करीब 70 मीटर (230 फीट) है. यह विशालकाय रॉकेट 63.8 टन का है. इतने वजह करीब दो स्पेस शटल का होता है.
पृथ्वी से लेकर मंगल के आर्बिट में चक्कर लगाएगा
यह रॉकेट 64 टन वजन को अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम है. जहां तक इसकी क्षमता का सवाल है तो इसमें करीब 18 ‘एयरक्राफ्ट-747’ (50 लाख टन) के बराबर पावर है. फिलहाल 1973 में लांच हुआ रॉकेट सैटर्न-5 सबसे ताकतवर रॉकेट माना जाता है. लांच होने के बाद यह रॉकेट पृथ्वी की ऑर्बिट से और मंगल की ऑर्बिट तक चक्कर लगाएगा. ऑर्बिट में पहुंचने के बाद यह रॉकेट 11 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से उड़ान भरेगी.
इसे लांच करने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत थी, इसलिए इस रॉकेट को 1240 मील (20181 किलोमीटर) दूर समुद्र तट पर इस रॉकेट को लाया गया है. लांचिंग से पहले इसके ईंजन सहित हर हिस्से की सही से जांच की गई है.
भारत GSLV सीरीज के रॉकेट से करता है प्रक्षेपण
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) GSLV सीरीज के रॉकेट से ही अब तक सारे प्रक्षेपण किए हैं. इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने बताया कि GSLV अपने सारे मिशन पर सफल रही है. अमेरिका में फॉल्कन हैवी रॉकेट का प्रक्षेपण सफल होने पर हम किसी नतीजे पर पहुंचेंगे. मालूम हो कि रूस और जापान भी ताकतवर रॉकेट बनाने की कोशिश में जुटे हैं.
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