नईदिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले का अपना अंतिम पूर्णकालिक बजट पेश कर रहे हैं. हम आपको पिछली तीन सरकारों के अंतिम बजट के बारे में बताने जा रहे हैं…
यूपीए-2 (वित्त मंत्री पी चिदंबरम, फरवरी 2013)
यूपीए ने अपने दूसरे और अंतिम टर्म में कुछ विशेष प्रस्ताव सामने नहीं रखे. उस वक्त वैसे ही अर्थव्यवस्था का हाल बुरा था, विकास दर थमी हुई थी और राजकोषीय घाटा बहुत अधिक था. ऐसे में वित्तमंत्री ने नए निवेश को बढ़ावा देने के लिए नवीन निवेश अनुमोदन की घोषणा की और घर खरीदने के लिए नई लुभावनी छूट के साथ साथ इक्विटी सेविंग्स स्कीम में उदारता भी लेकर आए.
यूपीए-1 के पहले टर्म का आखिरी बजट (वित्त मंत्री- पी चिदंबरम, 2008-09)
यूपीए 1 ने अपने आखिरी बजट में किसानों के 50 हजार करोड़ का कर्ज माफ करने की घोषणा की और 10 हजार करोड़ की एक मुश्त योजना भी लेकर आए. नरेगा को लाया गया जिसमें और अधिक फंड का आवंटन किया गया. आर्थिक समावेश पर जोर दिया जिसका नतीजा लोकसभा के 2009 चुनावों में देखने को मिला.
अंतरिम बजट (वित्त मंत्री- जसवंत सिंह, 2004-05)
वाजपेयी सरकार चुनाव की तैयारी में थी और वोट ऑन अकाउंट (जब बजट की घोषणा नहीं होती या चुनाव सिर पर होते हैं तब एक तय रकम को निकालने के लिए संसद की मंजूरी ली जाती है जिससे नई सरकार आने तक व्यय को संभाला जा सके) शुरुआती चार महीने के लिए जरूरी व्यय के लिए फंड अलग से रखे गए) में मिली मंजूरी का जसवंत सिंह ने कुछ इस तरह इस्तेमाल किया…
गरीबी रेखा के नीचे वाले परिवार के लिए अंत्योद्या अन्न योजना का और विस्तार किया गया. अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए फ्री बैगेज भत्ता 12 हजार से बढ़ाकर 25 हजार कर दिया गया. साथ ही लिस्टेड इक्विटी में टैक्स की छूट को और बढ़ावा देने का संकल्प किया गया.
Bureau Report
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