हिंसक भीड़ से बचने के वास्ते गोलियां चलाई गई
सिंह की अर्जी कहती है कि उनके बेटे का इरादा केवल सैन्य कर्मियों और संपत्ति को बचाना था तथा आतंकी गतिविधि पर उतरी हिंसक भीड़ से बचने के वास्ते ही गोलियां चलायी गयी थी. अर्जी के अनुसर भीड़ से चले जाने, और सेना के काम में बाधा नहीं डालने तथा सरकारी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाने का अनुरोध किया गया लेकिन जब स्थिति नियंत्रण के बाहर चली गयी तब चेतावनी जारी की गयी. ऐसे में जब हिंसक भीड़ ने एक जूनियर कमीशन प्राप्त अधिकारी को पकड़ लिया और उसे पीट पीट कर मार डालने पर उतर आयी तो भीड़ को तितर-बितर करने के लिए चेतावनी में गोलियां चलायी गयीं.
मोहम्मद अयुब पंडित की पिटाई का दिया हवाला
सिंह ने जम्मू कश्मीर की स्थित से शीर्ष अदालत को अवगत करने के लिए पिछले साल भीड़ द्वारा डीएसपी मोहम्मद अयुब पंडित की पिटाई का भी हवाला दिया. उन्होंने यह बताना चाहा कि सेना के अधिाकरी कश्मीर में हिंसक भीड़ को नियंत्रित करने के लिए किस स्थिति में काम कर रहे हैं. अर्जी में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को जमीनी स्तर पर प्रतिकूल स्थिति के मद्देनजर सीधे इस अदालत में यह रिट याचिका दायर कर प्राथमिकी रद्द कराने की मांग करनी पड़ी. राज्य में नेता और प्रशासनिक अधिकारी प्राथमिकी को जिस तरह पेश कर रहे हैं वह राज्य की बिल्कुल प्रतिकूल स्थिति को परिलक्षित करता है. ऐसे में याचिकाकर्ता के पास अपने बेटे के मौलिक अधिकारों की रक्षा के वास्ते संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस अदालत में आने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचता.
मेजर कुमार समेत सेना की 10 गढ़वाल यूनिट के कर्मियों पर रणबीर दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या के प्रयास) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है. दरअसल शोपिया के गनोवपोरा गांव में जब सैन्य कर्मियों ने पथराव कर रही भीड़ पर गोलिया चलायी थीं तब दो नागरिक मारे गये थे. उसके बाद मुख्यमंत्री ने इस घटना की जांच का आदेश दिया था.
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