मुंबई: श्रीदेवी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद कई लोगों के गले यह बात नहीं उतर रही कि तकरीबन डेढ़ फुट बाथटब में कोई कैसे डूब कर मर सकता है? दरअसल उस रिपोर्ट में श्रीदेवी की मौत की यही वजह बताई गई है. इस तरह की संकल्पना भले ही भारत के लिए नई हो लेकिन मेडिकल तथ्य यह है कि अमेरिका और जापान जैसे मुल्कों में ऐसी दुर्घटनाएं बहुतायत में देखने को मिलती हैं. इस विषय पर कई अध्ययन भी हुए हैं. गुजरात के आणंद में हुई एक स्टडी में यह बात सामने आई कि इस तरह की घरेलू दुर्घटनाओं का शिकार पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक होती हैं.
राष्ट्रीय त्रासदी
जापान में बाथटब में डूब कर मरने की घटनाएं राष्ट्रीय त्रासदी से कम नहीं है. मार्च, 2017 में जनरल एंड फैमिली मेडिसिन में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक जापान में सालाना 1900 लोगों की मौत इस वजह से होती है. इस स्टडी के एक साल पहले जापान के कंज्यूमर अफेयर्स एजेंसी की एक रिपोर्ट यह कहती है कि पिछले एक दशक में इस तरह के मामलों में 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इस तरह के 10 में से नौ मामलों में मरने वालों की उम्र 65 साल से अधिक थी. अध्ययन यह भी कहते हैं कि जापान के बाथिंग स्टाइल में 41 डिग्री से ऊपर तापमान पर गर्म जल का इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ ही जापानी बाथटब ज्यादा गहरे होते हैं. सो, इस तरह की मौतों में इन वजहों को भी बड़ा कारण माना जाता है.
अमेरिका
अमेरिका में 2006 का मृत्युदर का संघीय डाटा यह कहता है कि वहां पर हर रोज कम से कम एक व्यक्ति की मौत बाथटब, हॉट टब या स्पा की वजह से होती है. इस तरह के मामलों में यह भी देखने को मिला कि अल्कोहल या ड्रग्स लेना इसकी एक बड़ी वजह है.
अमेरिका में अटलांटा स्थित सेंटर फॉर डिसीसेज कंट्रोल ने 2015 में इस बारे में एक विस्तृत डाटा जारी किया. इसमें बताया गया कि बाथरूम में लगी चोटों के कारण 15 साल से अधिक उम्र के दो लाख से भी ज्यादा लोग अस्पतालों के इमरजेंसी रूम गए. इनमें से तकरीबन 14 फीसद को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत हुई. इनमें से अधिकांश हादसे नहाने के दौरान हुए. रिपोर्ट यह भी कहती है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं इस तरह के हादसों का अधिक शिकार हुईं.
भारत
देश में इस तरह के मामलों पर ज्यादा स्टडीज नहीं हुई हैं. थाणे म्युनिसिपल कारपोरेशन द्वारा संचालित छत्रपति महाराज अस्पताल की एक स्टडी पिछले साल मई में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिसर्च इन मेडिकल साइंसेज में प्रकाशित हुई है. इसमें बताया गया है कि कुल दुर्घटनाओं में इस तरह के हादसों की दर 1.7 प्रतिशत है. हालांकि इस रिपोर्ट में बाथटब में डूबकर मरने की किसी घटना का जिक्र नहीं है.
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