वाशिंगटन : नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने जियो इंस्टीट्यूट (Jio Institute) को सरकार की तरफ से ‘उत्कृष्ट संस्थान’ का दर्जा दिए जाने पर पीएम नरेंद्र मोदी को ‘साहसिक राजनेता’ ठहराया है. अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं साझेदारी फोरम (USISPF) के शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर पनगढ़िया ने गुरुवार को यह बात कही. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा किये गये आर्थिक सुधारों के परिणामस्वरूप भारत अगले 15-20 सालों में ‘तेज गति’ से विकास के लिए तैयार है.
कोई भी पीएम घोषणा से पहले सोचता है
उन्होंनेजियो इंस्टीट्यूट को ‘उत्कृष्ट संस्थान’ का दर्जा दिए जाने के बारे में कहा कि मोदी उन साहसिक नेताओं में से एक हैं, जिन्हें मैंने देखा है या कहू जिनके संपर्क में मैं आया. भारत के माहौल को देखते हुए कोई भी प्रधानमंत्री किसी ऐसी चीज के बारे में घोषणा करने से पहले दो-तीन बार सोचता है, जो अभी अस्तित्व में ही नहीं आई है क्योंकि इसके बाद प्रेस का दबाव झेलना होता है.
मौजूद संस्थान में बदलाव करना ज्यादा कठिन
पनगढ़िया ने कहा कि यही वो चीज है जिसकी आपको जरूरत है क्योंकि किसी नए संस्थान की शुरुआत से ही आप नियम बना सकते हैं जबकि पहले से मौजूद संस्थान में बदलाव करना ज्यादा कठिन है. आर्थिक वृद्धि को लेकर पनगढ़िया ने कहा, ‘चीन ने पिछले 15-20 साल में आर्थिक वृद्धि हासिल की है, हम भारत को अगले 15 से 20 साल में वो मुकाम हासिल करता हुए देखेंगे. इसी प्रकार की तेज गति से भारत आगे बढ़ेगा.’
भारत की विकास दर 7.3 प्रतिशत
वर्तमान में भारत की विकास दर 7.3 प्रतिशत है. यह दुनिया की किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था से ज्यादा है. यह सब अमेरिका सहित अन्य देशों से निवेश के कारण संभव हुआ है. यह आगे भी जारी रहेगा. हालांकि, अब तक अमेरिका बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश को लेकर ज्यादा इच्छुक नजर नहीं आया है. भारत सरकार को इस दिशा में निवेश बढ़ाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है.
भारत में रोजगार रहित विकास की बात गलत
यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष मुकेश आघी के सवाल पर पनगढ़िया ने उन मीडिया रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया कि भारत में रोजगार रहित विकास है. उन्होंने जोर दिया कि भारतीय प्रेस में रोजगार को लेकर सही तथ्य सामने नहीं आए हैं, जिसके चलते भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है. पनगढ़िया ने कहा कि बुनियादी बात यह है कि जब कोई देश 7.3 प्रतिशत की वृद्धि दर से बढ़ रहा है तो यह रोजगार सृजन के बिना संभव ही नहीं है. यह पूरी धारणा ही गलत है कि नौकरियां सृजित नहीं हो रही हैं.
Bureau Report
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