दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच अधिकारों की लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट का जल्द सुनवाई से इनकार

दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच अधिकारों की लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट का जल्द सुनवाई से इनकारनईदिल्ली: दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों की लड़ाई के बाद केंद्र और दिल्ली सरकार के अधिकारी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. दिल्ली सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि अधिकारी सरकार के मंत्रियों की बात नहीं मान रहे हैं, इसलिए इस मामले की सुनवाई जल्द से जल्द की जाए. दिल्ली सरकार के पक्ष पर गौर फरमाने के बाद इस मामले की सुनवाई को कोर्ट ने 26 जुलाई तक के लिए टाल दिया है. 

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार ने दायर की थी याचिका
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार ने याचिका दायर कर दिल्ली में अधिकारियों के तबादले का अधिकार केन्द्र की बजाय दिल्ली सरकार के पास होने की मांग की थी. साथ ही एक और याचिका दायर कर दिल्ली की एंटी करपशन ब्रांच के अधिकार क्षेत्र का दायरा बडाकर इसमें केन्द्र सरकार ले जुड़े मसलों पर भी कार्रवाई करने के अधिकार की मांग की थी.

हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार
केंद्र और दिल्ली सरकार के अधिकारों की लड़ाई में पहले दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी. दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के हक में फैसला सुनाया था. दरअसल हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने अनुच्छेद-239 एए पर व्याख्या की है लेकिन दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार के बीच अधिकारो को लेकर कई और मुद्दे सुप्रीम कोर्ट के सामने आए थे जिस पर अभी सुनवाई होनी बाक़ी रह गई थी. 

केंद्र सरकार का 21 मई 2015 का नोटिफिकेशन 
होम मिनिस्ट्री के 21 मई के नोटिफिकेशन जारी किया था. नोटिफिकेशन के तहत एलजी के जूरिडिक्शन के तहत सर्विस मैटर, पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और लैंड से संबंधित मामले को रखा गया है. इसमें ब्यूरेक्रेट के सर्विस से संबंधित मामले भी शामिल हैं. 

केंद्र सरकार का 23 जुलाई 2015 का नोटिफिकेशन
केंद्र सरकार द्वारा 23 जुलाई 2014 को जारी किए गए नोटिफिकेशन को भी चुनौती दी है. नोटिफिकेशन के तहत दिल्ली सरकार के एग्जेक्युटिव पावर को लिमिट किया गया है और दिल्ली सरकार के एंटी करप्शन ब्रांच का अधिकार क्षेत्र दिल्ली सरकार के अधिकारियों तक सीमित किया गया था. इस जांच के दायरे से केंद्र सरकार के अधिकारियों को बाहर कर दिया गया था.

Bureau Report

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